Wednesday, March 2, 2011

अनवरत



बड़ा उदास सा मौसम था
पिछले कुछ दिनों से
कुछ धुंधला, थोड़ा नीरस

कल ख़ाली बैठी सोच रही थी
ऐसा क्या करूँ
कि ये मौसम फिर ख़िल उठे

उदासी की मिट्टी को
फूलों के रंग से गूँधा
कुछ बूँदें ख़्वाबों की ख़ुशबू भी डाली

फिर उस सौंधी सी मिट्टी से
दो मुस्कान बनायीं, और
उम्मीद की धूप में सूखने को रख दिया

बड़ी प्यारी लग रही हैं, सच्ची !
आज आओगे तो एक तुम्हें दूँगी
और दूसरी मुस्कान मैं पहनूँगी

ये मौसम अब कभी उदास न होगा
ये मुस्कान सदा खिली रहेगी
जीवन की हर ऋतु में...

-- ऋचा

14 comments:

  1. बहुत खूब, नकारात्मकता में सकारात्मकता ढूँढने का अद्भुत शिल्प..

    Happy Blogging

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  2. कई बार लगता है बहुत कोमल एहसास अब लड़कियों के पास ही है, पन्त होने बंद हो गए.. फिलहाल यह गर्लिश कविता... ख्याल अच्छा है.

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  3. उस सौंधी सी मिट्टी से
    दो मुस्कान बनायीं, और
    उम्मीद की धूप में सूखने को रख दिया

    बड़ी प्यारी लग रही हैं, सच्ची !
    आज आओगे तो एक तुम्हें दूँगी
    और दूसरी मुस्कान मैं पहनूँगी
    amazing

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  4. मौसम कभी उदास न होगा, सुन्दर कविता।

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  5. वाह ...बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द से सजी यह रचना ।

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  6. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (2-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  7. बरबस मुस्कराहट ले आई चेहरे पर....
    बहुत ही प्यारी.सी कविता

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  8. ऊर्जा और उत्साह से लबरेज -आखिर कविता ऐसी भी क्यों न हो ?

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  9. priya richa ji
    naskar ,
    apki rachana bahut sundar lagi . man ko chhune
    wali abhvyakti pasand aayi . dhanyavad.

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  10. उदासी की मिटटी
    फूलों के रंग
    ख्वाबों की खुशबू
    उम्मीद की धूप...

    इस मुस्कान को तो हर मौसम में खिलना ही है ...खुशनुमा शब्द चित्र एहसासों का ...
    आभार !

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  11. आमीन ! ये मुस्कान सदा खिली रहे....फिर चाहे मौसम कैसा भी क्यों ना हो... मुस्कान के इस मौसम के आगे सारी ऋतुएँ बेमानी ..... गुनगुनाती,मुस्कुराती रहो:-)

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  12. बड़ी प्यारी लग रही हैं, सच्ची !
    आज आओगे तो एक तुम्हें दूँगी
    और दूसरी मुस्कान मैं पहनूँगी

    oh my my ! what do i say now, mere yahan to mausam already bohot bohot pyaara ho gaya....thanks yaara, lovely nazm

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  13. अहा………… क्या कहूँ इस पर ! जो आनन्द मिला नज़्म से गुजर कर उस पर कई शब्दकोश वारे जा सकते हैं :)

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दिल की गिरह खोल दो... चुप ना बैठो...

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