Thursday, March 17, 2011

जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की...



धरती बनना बहुत सरल है कठिन है बादल हो जाना
संजीदा होने में क्या है मुश्किल है पागल हो जाना
रंग खेलते हैं सब लेकिन कितने लोग हैं ऐसे जो
सीख गये हैं फागुन की मस्ती में फागुन हो जाना !!!

-- डॉ. कुमार विश्वास

मुलायम, चमकीले हरे कोपलों की चोली, सेमल का सुर्ख़ रेशमी घाघरा, सरसों की पीली महकती चुनर और केसरिया पलाश की पायल पहने... छन छन करती... हँसती खिलखिलाती... फिज़ाओं में खुशियों के रंग बिखेरती... किसी अल्हड़ नवयौवना सी फागुन ऋतु दस्तक दे चुकी है... होली बस अगले ही मोड़ पर है... एकदम क़रीब... हवाओं में बौराए आम का नशा घुलने लगा है... ठंडाई का स्वाद ज़बान पर आने लगा है... गुजिया की मिठास होंठों पर तैरने लगी है... चटख रंगीले अबीर गुलाल से रंगे जाने को बच्चों से ले कर बड़ों तक सभी बेताब हैं...

एक बार फिर हर गली मोहल्ले में होली का राष्ट्रगान बजने लगा है - "पी ने मारी पिचकारी मोरी भीगी अंगिया... रंग रसिया ओ रंग रसिया... होली है !!! हो रंग बरसे भीगे चुनर वाली... रंग बरसे..."

सच कभी कभी तो मन करता है... नहीं कभी कभी क्या रोज़ ही मन करता है उस ईश्वर को दिल से धन्यवाद देने का जो इस भारत माँ की संतान होने का सौभाग्य मिला... ऐसी धरती पर जन्म लिया जहाँ रंगों से लेकर रिश्तों और रौशनियों हर चीज़ के त्यौहार मनाये जाते हैं... कभी जीवन के हर रंग में ख़ुश रहने की सीख देते हैं ये त्यौहार... तो कभी अमावास की काली रात को भी उम्मीद के दियों से रौशन करने की...

यहाँ हम हर रिश्ते का उत्सव मनाते हैं... फिर चाहे वो भाई बहन का रिश्ता हो, पति पत्नी का या बेटे बेटियों का... और होली का त्यौहार उस सब से ऊपर है जो सिखाता है सारे गिले शिकवे भूल कर दोस्त ही क्या दुश्मनों को भी हँस के गले लगाओ... ये ज़िन्दगी लड़ाई झगड़े, शिकवे शिकायतों के लिये बहुत छोटी है... इसे प्यार के रंगों से रंग लो...

आज जब इस दौड़ती, भागती, हांफती ज़िन्दगी में खुशियों के पल बहुत कम होते जा रहे हैं... क्या आप नहीं चाहते फागुन की मस्ती में एक बार फिर से फागुन हो जाना... पिचकारी में प्यार भर के अपनों को एक बार फिर उस प्यार में रंग देना... दोनों मुट्ठियों में अबीर गुलाल भर के यूँ ही हवा में उड़ा देना और ख़ुद भी उसमें सराबोर हो जाना सारी परेशानियाँ भूल के... हम तो बिलकुल तैयार हैं... तो आइये हो जाये... एक बार फिर मिल के होली मनाएँ... नाचे गायें... शोर मचाएं... होली है भाई होली है... बुरा ना मानो... होली है :)



जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की।
और दफ़ के शोर खड़कते हों तब देख बहारें होली की।
परियों के रंग दमकते हों तब देख बहारें होली की।
ख़ुम शीशे-जाम छलकते हों तब देख बहारें होली की।
महबूब नशे में छकते हों तब देख बहारें होली की।

हो नाच रंगीली परियों का, बैठे हों गुलरू रंग भरे
कुछ भीगी तानें होली की, कुछ नाज़-ओ-अदा के ढंग भरे
दिल फूले देख बहारों को, और कानों में आहंग भरे
कुछ तबले खड़कें रंग भरे, कुछ ऐश के दम मुंह चंग भरे
कुछ घुंगरू ताल छनकते हों, तब देख बहारें होली की

गुलज़ार खिलें हों परियों के और मजलिस की तैयारी हो।
कपड़ों पर रंग के छीटों से खुश रंग अजब गुलकारी हो।
मुँह लाल, गुलाबी आँखें हों और हाथों में पिचकारी हो।
उस रंग भरी पिचकारी को अंगिया पर तक कर मारी हो।
सीनों से रंग ढलकते हों तब देख बहारें होली की।।

और एक तरफ़ दिल लेने को, महबूब भवइयों के लड़के,
हर आन घड़ी गत फिरते हों, कुछ घट घट के, कुछ बढ़ बढ़ के,
कुछ नाज़ जतावें लड़ लड़ के, कुछ होली गावें अड़ अड़ के,
कुछ लचके शोख़ कमर पतली, कुछ हाथ चले, कुछ तन फड़के,
कुछ काफ़िर नैन मटकते हों, तब देख बहारें होली की।।

ये धूम मची हो होली की, ऐश मज़े का झक्कड़ हो
उस खींचा खींची घसीटी पर, भड़वे खन्दी का फक़्कड़ हो
माजून, रबें, नाच, मज़ा और टिकियां, सुलफा कक्कड़ हो
लड़भिड़ के 'नज़ीर' भी निकला हो, कीचड़ में लत्थड़ पत्थड़ हो
जब ऐसे ऐश महकते हों, तब देख बहारें होली की।।

-- नज़ीर अकबराबादी


[ गीत मुज़फ्फ़र अली जी के एल्बम हुस्न-ए-जाना से, छाया गांगुली जी की आवाज़ में ]

16 comments:

  1. मोहब्बत के रंग, ख़ुशियाँ का गुलाल
    आओ रंगें मन को, होली में इस साल

    रंगों के इस त्यौहार की ढेरों शुभकामनाएँ !!!

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  2. Hum bhi yahi kahenge .. होली है भाई होली है... बुरा ना मानो... होली है :)
    Happy Holi..

    Happy Blogging..

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  3. होली की हार्दिक शुभकामनायें।

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  4. “है सबमें मची होली अब तुम भी ये चर्चा लो।
    रखवाओ अबीर ए जां और मय को भी मंगवा लो।
    हम हाथ में लोटा लें तुम हाथ में लोटिया लो।
    हम तुमको भिगों डालें तुम हमको भिंगो डालो।
    होली में यही धूमें लगती हैं बहुत फलियां।
    है तर्ज जो होली की उस तर्ज हंसो बोलो।
    जो छेड़ है इस रूत की अब तुम भी वही छेड़ो।
    हम डालें गुलाल ऐ जां तुम रंग इधर छिड़को
    हम बोलें अहा हो हो तुम बोलो ओ हो ओ हो”

    http://bairang.blogspot.com/2010/09/blog-post_18.html

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  5. http://ngoswami.blogspot.com/2011/03/blog-post.html

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  6. होली की शुभकामनाएं ।।

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  7. तक धिनाधिन ... होली मुबारक हो

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  8. होली की हार्दिक शुभकामनायें...

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  9. होली के रंगों की फुहार से आसमान भी मचल जाये।

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  10. हमारी तरफ से भी रंगों की फुहार लीजिये...
    सारे रंगों के गुब्बारे फेके हैं... अपने हिसाब से चुन लीजियेगा...
    होली है भई होली है... :)
    नज़्म भी उतनी ही अच्छी है...
    तारीफ में बाकी हम कुछ नहीं बोलेंगे...

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  11. itni khoobsurat holi...wah !! bohot bohot mubarak ho aapko ye holi :)

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  12. अनूठा रंग जोड़ दिया जी आपने इस बार की होली में....

    होली की हार्दिक शुभकामनाये स्वीकार करे जी...
    कुंवर जी,

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  13. :)
    जब घर में होता हूँ तो इस त्यौहार की क्या, किसी भी त्यौहार की रौनक अलग होती है...

    वैसे आपने ये बहुत सही कहा की हमारे देशी में रंगों से लेकर रिश्तों और रोशनियों तक का उत्सव मनाया जाता है..:)

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  14. bahut sundar blog or utni hi sateek abhwyakti!! swagat hai....kabhi hame blog pr bhi padhare !!

    Jai HO Mangalmay HO

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दिल की गिरह खोल दो... चुप ना बैठो...

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