बड़ा उदास सा मौसम था
पिछले कुछ दिनों से
कुछ धुंधला, थोड़ा नीरस
कल ख़ाली बैठी सोच रही थी
ऐसा क्या करूँ
कि ये मौसम फिर ख़िल उठे
उदासी की मिट्टी को
फूलों के रंग से गूँधा
कुछ बूँदें ख़्वाबों की ख़ुशबू भी डाली
फिर उस सौंधी सी मिट्टी से
दो मुस्कान बनायीं, और
उम्मीद की धूप में सूखने को रख दिया
बड़ी प्यारी लग रही हैं, सच्ची !
आज आओगे तो एक तुम्हें दूँगी
और दूसरी मुस्कान मैं पहनूँगी
ये मौसम अब कभी उदास न होगा
ये मुस्कान सदा खिली रहेगी
जीवन की हर ऋतु में...
-- ऋचा
बहुत खूब, नकारात्मकता में सकारात्मकता ढूँढने का अद्भुत शिल्प..
ReplyDeleteHappy Blogging
कई बार लगता है बहुत कोमल एहसास अब लड़कियों के पास ही है, पन्त होने बंद हो गए.. फिलहाल यह गर्लिश कविता... ख्याल अच्छा है.
ReplyDeleteउस सौंधी सी मिट्टी से
ReplyDeleteदो मुस्कान बनायीं, और
उम्मीद की धूप में सूखने को रख दिया
बड़ी प्यारी लग रही हैं, सच्ची !
आज आओगे तो एक तुम्हें दूँगी
और दूसरी मुस्कान मैं पहनूँगी
amazing
मौसम कभी उदास न होगा, सुन्दर कविता।
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही सुन्दर शब्द से सजी यह रचना ।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बरबस मुस्कराहट ले आई चेहरे पर....
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी.सी कविता
ऊर्जा और उत्साह से लबरेज -आखिर कविता ऐसी भी क्यों न हो ?
ReplyDeleteMujhe bahut achhi lagi... :)
ReplyDeletepriya richa ji
ReplyDeletenaskar ,
apki rachana bahut sundar lagi . man ko chhune
wali abhvyakti pasand aayi . dhanyavad.
उदासी की मिटटी
ReplyDeleteफूलों के रंग
ख्वाबों की खुशबू
उम्मीद की धूप...
इस मुस्कान को तो हर मौसम में खिलना ही है ...खुशनुमा शब्द चित्र एहसासों का ...
आभार !
आमीन ! ये मुस्कान सदा खिली रहे....फिर चाहे मौसम कैसा भी क्यों ना हो... मुस्कान के इस मौसम के आगे सारी ऋतुएँ बेमानी ..... गुनगुनाती,मुस्कुराती रहो:-)
ReplyDeleteबड़ी प्यारी लग रही हैं, सच्ची !
ReplyDeleteआज आओगे तो एक तुम्हें दूँगी
और दूसरी मुस्कान मैं पहनूँगी
oh my my ! what do i say now, mere yahan to mausam already bohot bohot pyaara ho gaya....thanks yaara, lovely nazm
अहा………… क्या कहूँ इस पर ! जो आनन्द मिला नज़्म से गुजर कर उस पर कई शब्दकोश वारे जा सकते हैं :)
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