wah!!!! nice presentation... jitni khoobsoorat poem hai utni hi khoobsoorat presentation bhi... aapkee is poem ke sath hum bhi apni yaadon me ek gota laga ke aaye ...
kaash! koi time machine hoti to jee lete ek baar....Nostalgic feel de gai ye creation...vastav mein lajawaab aur opper se aapka presentation.... Great going...Keep it up
wowwww... awesome.. ज़िन्दगी का जैसे एक कोलाज सा बना दिया है तुमने... यादो को कितने करीने से लगाया है तुमने... बेहतरीन.. बचपन की तस्वीरे तो बहुत प्यारी है.. मेरी पसन्द जिसमे तुम और तुम्हारा भाई एक दूसरे को शरारती मुस्कान से देख रहे हो :) अलमारिया ऎसी ही चीज़ होती है हर बार जैसे कुछ न कुछ मिलता है वहा से.. बहुत ही सुन्दर..
अपने बारे में क्या बताऊँ आपको, नवाबों के शहर लखनऊ में पली बढ़ी एक आम लड़की हूँ, a software engineer by profession... लेखिका नहीं हूँ सो शब्दों से खेलना नहीं आता, पर सराहना ज़रूर आता है और ज़िन्दगी की छोटी छोटी चीज़ों में खुशियाँ तलाशना आता है... बच्चों की मासूम किलकारी, फूलों की ख़ुश्बू, प्रकृति की शान्ति, रंग बिरंगी तितलियाँ, हवा में उड़ते गुब्बारे, बारिश की बूँदें, मिट्टी की सौंधी सी महक... बरबस ही हमें अपनी ओर खींच लेते हैं... i believe, with all its complications and uncertainties, life is still beautiful and worth living... u just have to face it with a positive attitude and take everything in ur stride !!
अच्छा लगता है न जब आपका लिखा कुछ लोगों तक पहुँचे... ख़ासकर उन लोगों तक जिनका आना जाना ब्लॉग और इन्टरनेट की इन तकनीकी गलियों में नहीं है... वो, जिनके लिए पढ़ने का ज़रिया आज भी अखबार और किताबें ही हैं... तो बेशक़ हमारे लिखे को उन लोगों तक पहुँचाइये... अगर हमारा लिखा इस लायक है... हाँ एक चिट्टी हमारे पते पर भी ज़रूर छोड़ते जाइये... थोड़ा सा हम भी ख़ुश हो लें !
wah!!!! nice presentation... jitni khoobsoorat poem hai utni hi khoobsoorat presentation bhi... aapkee is poem ke sath hum bhi apni yaadon me ek gota laga ke aaye ...
ReplyDeleteHappy Blogging
waah bahut sundarta se yaadon ko sajaaya aur prastuti ka tareeka bhi lajawaab...
ReplyDeleteबहुत भावात्मक ....यादों को कैसे फेंका जा सकता है
ReplyDeleteamazing......just amazing
ReplyDeleteकोई ये बात हमारी श्रीमती जी को भी समझा दे......उसके मायके की चीज तो मूल्यवान धातु चाहे वो कुछ भी,और हमारे घर की यादें भी कबाड़,चाहे वो कुछ भी......
ReplyDeleteआपकी कविता शानदार रही जी.....
कुंवर जी,
kaash! koi time machine hoti to jee lete ek baar....Nostalgic feel de gai ye creation...vastav mein lajawaab aur opper se aapka presentation.... Great going...Keep it up
ReplyDeletewowwww... awesome.. ज़िन्दगी का जैसे एक कोलाज सा बना दिया है तुमने... यादो को कितने करीने से लगाया है तुमने... बेहतरीन.. बचपन की तस्वीरे तो बहुत प्यारी है.. मेरी पसन्द जिसमे तुम और तुम्हारा भाई एक दूसरे को शरारती मुस्कान से देख रहे हो :) अलमारिया ऎसी ही चीज़ होती है हर बार जैसे कुछ न कुछ मिलता है वहा से.. बहुत ही सुन्दर..
ReplyDeleteअरे वाह कितनी खूबसूरती के साथ लिखा है आपने...मजा आ गया...आजकल हम भी थोड़े पुरानी यादों के साथ रह रहे हैं...ऐसे में आपकी ये कविता...मजा ही आ गया :)
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeletesachmuch ...samaan nahi yaad hi thi ... :)
ReplyDeleteमनभावुक।
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