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सिर्फ़ साया नहीं वजूद मेरा
मेरी अपनी भी एक हस्ती है
कोई मुझको मेरी तरह समझे
रूह इस बात को तरसती है
बूँद की अपनी प्यास होती है
प्यास इक लब तलाश करती है
ज़िन्दगी आती जाती साँसों में
कोई मतलब तलाश करती है
कुछ लम्हे कभी ख़त्म नहीं होते... हमारी यादों में ठहर जाते हैं, "फ्रीज़" हो जाते हैं... यादों की झोली से निकाले हुए ऐसे ही कुछ ठहरे हुए लम्हे...
ye boond to lajawab hain...... ek-ek shabd boond nahi sagar samaya hain inmey.... good work. Keep it up :-)
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