नीले पॉपी के बगल से होकर
वो जो अलसायी सी पगडण्डी मुड़ती है न
ठीक उसी पर आगे बढ़ना
मील भर के फासले पर
आबशारों की इक टोली मिलेगी
सुना है पूरनमासी की रात
आसमां से परियाँ आती हैं वहाँ
थोड़ा आगे बढ़ने पर
शफ्फाक़ बर्फ़ का जज़ीरा मिलेगा
न न उसके रंग पर मत जाना
दिल का बड़ा पाजी है !
संभल संभल के चलना उस पर
ज़रा सा कोई फिसला गया तो
मुआं खिलखिला के हंस पड़ता है
वहां से कुछ ही दूर पर
अलसाई सी पीली पिओनी का झुण्ड
हरी घास पर धूप सेंकता मिलेगा
बस वहीं से दायें मुड़ना
संभल कर… आगे ढलान है
सामने रुई के फ़ाहे सा नर्म
बादलों का इक दरिया होगा
जानती हूँ, दिल करेगा
उस मखमली दरिया में
पैर डाल के बैठो कुछ देर
रस्ते की कुछ थकन उतारो
पर वो मायाजाल है
उसमें फँसना मत... आगे बढ़ना
ज़रा ध्यान से सुनोगे तो
पास बहती नदी की शरारत सुनाई देगी
उसकी अठखेलियों से लजाये
कुछ गुलाबी फूलों की कतारें
नदी के किनारे दूर तक फैली होंगी
तुम भी उनकी ऊँगली थाम बढ़ते आना
आगे लाल और सफ़ेद फूलों की
इक बस्ती मिलेगी
आजकल कुछ नाज़ुक नारंगी
मेहमां भी आये हैं उनके देस
आदतन सब के सब बैठे
गप्पें मार रहे होंगे देवदार तले
या फिर भँवरे और तितली का
वाल्ट्ज देखते होंगे !
उनसे मिल के आगे बढ़ोगे तो
ओस में भीगी सकुचाई सी इक
जामुनी इनूरी मिलेगी
पीले गुलाब की दीवानी है
पर वो निरा जंगली ठहरा
अब तक उसका मन न समझा !
आगे रास्ता थोड़ा संकरा है
थोड़ा सा पथरीला भी
कोहरे के धुंधलके में
परिन्दों की आवाज़ का पीछा करते
जुगनुओं से कुछ नूर उधार ले कर
अपनी राह तलाशते, ये सफ़र अब
तुम्हें ख़ुद तय करना होगा
कुदरत की इस नायाब पेंटिंग में
जहाँ सूरज अपनी सारी लाली
घाटी के नर्म गालों पर मल कर
उसकी आग़ोश में जज़्ब हो जाता है
पहाड़ी के उस अंतिम छोर पर
मैं मिलूँगी
धरती की इस जन्नत में
तुम्हारा इंतज़ार करती !
-- ऋचा
वो जो अलसायी सी पगडण्डी मुड़ती है न
ठीक उसी पर आगे बढ़ना
मील भर के फासले पर
आबशारों की इक टोली मिलेगी
सुना है पूरनमासी की रात
आसमां से परियाँ आती हैं वहाँ
थोड़ा आगे बढ़ने पर
शफ्फाक़ बर्फ़ का जज़ीरा मिलेगा
न न उसके रंग पर मत जाना
दिल का बड़ा पाजी है !
संभल संभल के चलना उस पर
ज़रा सा कोई फिसला गया तो
मुआं खिलखिला के हंस पड़ता है
वहां से कुछ ही दूर पर
अलसाई सी पीली पिओनी का झुण्ड
हरी घास पर धूप सेंकता मिलेगा
बस वहीं से दायें मुड़ना
संभल कर… आगे ढलान है
सामने रुई के फ़ाहे सा नर्म
बादलों का इक दरिया होगा
जानती हूँ, दिल करेगा
उस मखमली दरिया में
पैर डाल के बैठो कुछ देर
रस्ते की कुछ थकन उतारो
पर वो मायाजाल है
उसमें फँसना मत... आगे बढ़ना
ज़रा ध्यान से सुनोगे तो
पास बहती नदी की शरारत सुनाई देगी
उसकी अठखेलियों से लजाये
कुछ गुलाबी फूलों की कतारें
नदी के किनारे दूर तक फैली होंगी
तुम भी उनकी ऊँगली थाम बढ़ते आना
आगे लाल और सफ़ेद फूलों की
इक बस्ती मिलेगी
आजकल कुछ नाज़ुक नारंगी
मेहमां भी आये हैं उनके देस
आदतन सब के सब बैठे
गप्पें मार रहे होंगे देवदार तले
या फिर भँवरे और तितली का
वाल्ट्ज देखते होंगे !
उनसे मिल के आगे बढ़ोगे तो
ओस में भीगी सकुचाई सी इक
जामुनी इनूरी मिलेगी
पीले गुलाब की दीवानी है
पर वो निरा जंगली ठहरा
अब तक उसका मन न समझा !
आगे रास्ता थोड़ा संकरा है
थोड़ा सा पथरीला भी
कोहरे के धुंधलके में
परिन्दों की आवाज़ का पीछा करते
जुगनुओं से कुछ नूर उधार ले कर
अपनी राह तलाशते, ये सफ़र अब
तुम्हें ख़ुद तय करना होगा
कुदरत की इस नायाब पेंटिंग में
जहाँ सूरज अपनी सारी लाली
घाटी के नर्म गालों पर मल कर
उसकी आग़ोश में जज़्ब हो जाता है
पहाड़ी के उस अंतिम छोर पर
मैं मिलूँगी
धरती की इस जन्नत में
तुम्हारा इंतज़ार करती !
-- ऋचा
* पॉपी, पिओनी, इनूरी - फूलों की घाटी में खिलने वाले ३०० फूलों में से तीन फूलों के नाम !
फूलों की घाटी, उत्तराखण्ड, भारत -- बहुत सालों पहले एक सपना देखा था... धरती की इस जन्नत में जा कर करीब से इसे महसूस करने का... वो सपना आज भी वैसा ही है... बल्कि साल दर साल शिद्दत बढ़ती ही गयी... और इस साल मन में ठानी है की बस अब और इन्तज़ार नहीं... उम्मीद है जल्द ही ये सपना पूरा होगा... शायद इस साल ही... दुआ कीजिए !
ReplyDeleteVisit these links for more info about Valley of Flowers
ReplyDeletehttp://www.valleyofflowers.info/
https://www.facebook.com/valleyofflower
http://en.wikipedia.org/wiki/Valley_of_Flowers_National_Park
बहुत खूबसूरत कल्पना ...
ReplyDeleteHi Richa, aap ke kuch post pad..aap bahut accha likhti hai..
ReplyDelete" उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी " ye post pad ke laga jaise maine ye likha hai...sayad hum sab ki yahi halat ho jati hai zindagi ke safar mein...keep up the good work...take care...
देखता हूँ, चित्रकारी,
ReplyDeleteप्रकृति की रचना ये प्यारी..