Your Cheerful Looks Makes Day A Delight ! आज पलट के बीते सालों पे नज़र डालती हूँ तो यकीन नहीं होता... ये उसी लड़की के लिए कहा गया था कभी जो आज अपनों के लिए दुःख और उदासी का कारण बनी हुई है...
ये टाइटल ऐसे ही नहीं दिया गया था उसे क्लास ट्वेल्फ्थ की फेयरवेल पार्टी में... उसकी खुशमिज़ाजी ने उसे स्कूल कॉलेज, यार दोस्तों के बीच एक अलग पहचान दी हुई थी... बड़ी से बड़ी परेशानी में भी हमेशा ख़ुश और हँसती रहने वाली लड़की... वो कभी हर महफिल की जान हुआ करती थी जो आज ख़ुद से भी इतना कटी कटी रहती है... ख़ुद से ही नाराज़... कब वो इतना बदल गयी... उसकी वो हँसी कहाँ गायब हो गयी उसे भी कहाँ पता चला था...
बहुत चिड़चिड़ी हो गई थी वो... बात बात पे गुस्सा करने लगी थी... नाराज़ रहने लगी थी... लोग अक्सर उससे शिकायत करने लगे थे उसके स्वभाव को ले कर... पर जो लोग उसे अभी-अभी मिले थे वो उसे जानते ही कितना थे... वो हर किसी की शिकायत सुनती और चिढ़ जाती... एक अजीब सी खीझ भरती जा रही थी उसके मन में सबके प्रति... एक बेहद गहरी ख़ामोशी उसे घेरती जा रही थी जो सिर्फ़ उसे महसूस होती थी... वो ऐसी नहीं थी... वो ऐसी होना नहीं चाहती थी...
आज इतने सालों बाद जब ख़ुद को आईने में देखा तो पहचान नहीं सकी... ज़िन्दगी जाने कब उसका हाथ छुड़ा कर आगे बढ़ गयी... वो पीछे छूट गयी... बहुत पीछे... तन्हा... अकेली... किसी अनजाने से मोड़ पे... उसे बिलकुल भी समझ नहीं आ रहा था की वो अब क्या करे… ज़िन्दगी के सफ़र पर यूँ राह भटक जाना तकलीफ़देह होता है... पर ज़िदगी जीने की वजह का खो जाना... नृशंस !
जैसे कुछ टूट गया था उसके अन्दर... कुछ तो था जो मरता जा रहा था धीरे धीरे भीतर ही भीतर... एहसास सुन्न हो गए थे... दिमाग की सारी नसें जैसे सूज गयी थीं... सर दर्द से फटा जा रहा था... वो रोना चाहती थी... चीखना चाहती थी... शायद कुछ दर्द बह जाए आँसुओं के साथ तो जी थोड़ा हल्का हो... पर उसके एक दोस्त ने कभी उससे कहा था कि रोते तो कमज़ोर लोग हैं... उसका दिल हुआ वो आज पूछे उस दोस्त से... कभी कभी कमज़ोर पड़ जाना क्या इतना बुरा है... क्या ताक़तवर लोगों को तकलीफ़ नहीं होती कभी ?
उसकी ज़िन्दगी के सफ़र में बहुत से लोग आये... कहने को दोस्त पर कोई भी उसके साथ ज़्यादा दूर तक नहीं चला... हर रिश्ता उसे हमेशा टुकड़ों ही में मिला... कभी लोग उसके नज़दीक आये, कभी उसने लोगों को ख़ुद के नज़दीक आने का मौका दिया... पर अंत में ये उसकी अपनी ज़िन्दगी थी, उसका अपना सफ़र जो उसे अकेले ही तय करना था...
आज वो उदास है... बहुत उदास... इसलिए नहीं की वो अकेली पड़ गयी है... बल्कि इसलिए की उसने ख़ुद को कहीं खो दिया है... वो अब वो रह ही नहीं गयी है जो वो कभी हुआ करती थी... आज उस अनजान से मोड़ पे अकेली खड़ी वो ख़ुद को फिर से तलाशने की जद्दोजहद कर रही है... वो हताश है, निराश है, शायद थोड़ा डरी हुई भी... पर ज़िन्दगी आपके ख़्वाबों सी हसीन और आसान कब होती है... ख़ुशियों का सूरज हमेशा तो नहीं खिला रहता... ज़िन्दगी में कभी रात भी आती है… और रात के अँधियारे में ही तारे टिमटिमाया करते हैं... उसे भरोसा है ऐसा ही कोई तारा उसे भी मिलेगा... जो ख़ुद को वापस पाने की उसकी राह को रौशन करेगा...