कुछ तो ज़रूर है तुम्हारे शब्दों में कि हर वो शख्स जिसने एक बार भूले से भी पढ़ लिया तुम्हें, बकौल तुम्हारे, उसकी आदत बिगड़ ही जाती है... तुम्हारी नज़्में उँगली थामे ज़िन्दगी के हर मोड़ पर मिल जाती हैं... कभी बचपन के भेस में... कभी यादों के देस में... कभी चाँद पे सवार... कभी बादलों के पार... तुम्हारे अनोखे मेटाफ़र्स को जीने लगते हैं हम... हँसी सौंधी लगने लगती है... नैना ठगने लगते हैं... कभी जगते जादू फूंकती हैं तुम्हारी नज़्में कभी नींदे बंजर कर देती हैं...
कोई कोई दिन तो ऐसा भी आता है कि सुबह से शाम बस तुम्हारे गाने सुनते ही बीत जाता है... क़तरा क़तरा मिलती है क़तरा क़तरा जीने दो... फिर से आइयो बदरा बिदेसी... थोड़ी सी ज़मीं थोड़ा आसमां... तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिक़वा तो नहीं... तुम आ गये हो नूर आ गया है... तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी... ओ माझी रे... ऐ ज़िन्दगी गले लगा ले... दिल ढूंढता है फिर वही फ़ुर्सत के रात दिन... तुम सारा दिन यूँ ही घेरे रहते हो और हम कहते हैं आज कैफ़ियत बड़ी गुल्ज़ाराना है... जलन भी होती है कभी तुमसे... कितने चाहने वाले हैं तुम्हारे... इतनी शिद्दत से परस्तिश करते हैं तुम्हें कि एक नया धर्म ही बना दिया है तुम्हारे चाहने वालों ने - गुल्ज़ारियत !
जानते हो तुम्हारे नाम का एक फोल्डर हर उस कम्प्यूटर, फ़ोन और आईपॉड में बना हुआ है जिसे हम इस्तेमाल करते हैं... और हाँ किसी से कहना नहीं पर हमारा दोस्त ना जलता है तुमसे :) हमारा ही क्या हर उस लड़की का जो तुम्हें पसंद करती है... तुम्हारी नज़्मों में हर इक रिश्ते को जिया है हमने... जब कभी चल गुड्डी चल पक्के जामुन टपकेंगे चिल्लाते हुए रौशन आरा खेत कि जानिब भागते हो तो बचपन का कोई भूला बिसरा दोस्त याद आ जाता है जिसके साथ जाने कितनी ही दोपहरें ऐसी बचकानी हरकतें करते बिताई हैं... जब कहते हो बोस्की बेटी मेरी, चिकनी-सी रेशम की डली तो लगता है जैसे खुद हमारे पापा हमें आवाज़ लगा रहे हों...
बोस्की में तुम्हारी जान बस्ती है ना... जानती हूँ... उसे दो चोटियाँ बना के स्कूल जाना होता था और वो भी एक बराबर कोई छोटी बड़ी नहीं होनी चाहिये... तो तुमने चोटी बनाना सीखा बोस्की के लिये... हर साल उसके जन्मदिन पर ख़ास उसके लिये लिखी कविताओं कि एक किताब उसे गिफ्ट किया करते थे.. बोस्की का पंचतंत्र... और तुम्हारे घर का नाम भी तो बोस्कियाना है ना...
लोगों को शायद नहीं पता कि तुम्हें टेनिस खेलना कितना पसंद है... और आज भी सुबह उठ कर तुम टेनिस ज़रूर खेलते हो... और क्या पसंद है तुम्हें ? बैगन बिलकुल भी नहीं पसंद खाने में :) है ना ? हाँ, कलफ़ किया हुआ सफ़ेद कुर्ता पायजामा बहुत पसंद है तुम्हें, जिसे तुमने अपना सिग्नेचर स्टाइल बना लिया है... कलफ़ भी इतना कड़क कि जाने कितने कुर्ते तो पहनते वक़्त ही शहीद हो गये :) तुम्हारी नज्में भी तुम्हारे कुर्ते कि तरह ही हैं कभी सीधी सपाट चिकनी तो कभी उसकी सलवटों की तरह ही पेचीदा...
जब सुनती हूँ की तुम मीना कुमारी के लिये पूरे रमजान रोज़े रखते थे सिर्फ़ इसलिए कि उनकी तबियत नासाज़ थी और वो रोज़े ना रख पाने कि वजह से बेहद उदास थीं, तो दिल से दुआ निकलती है कि ऐसा दोस्त सबको मिले... और जब कहते हो मैं अकेला हूँ धुँध में पंचम तो जी करता है तुम्हारे दोस्त को कहीं से भी ढूँढ़ के वापस ला दूँ तुम्हारे पास... तुम्हारी और पंचम की क्या कमाल की जोड़ी थी... वो संगीत के साथ एक्सपेरिमेंट करते थे और तुम शब्दों के साथ... कितने गाने तो ऐसे खेल खेल में ही बन जाते थे... तुम्हारा कोई फ्रेज़ पसंद आता उन्हें तो कहते थे इसे इलैबोरेट करो... और करते करते पूरा गाना बन जाता था... तुमने भी तो पंचम के कितने बंगाली गानों की धुनें चुरा कर उस पर अपने बोल लिख दिये...
तुमसे जब बात नहीं होती किसी दिन और तुम ख़ामोश, उदास से हो जाते हो तो जी करता है तुम्हारे गले में बाहें डाल कर गुदगुदा कर पूछूँ तुम्हें कहो यार कैसे हो ?
बरसों पहले जब उर्दू का एक हर्फ़ भी समझ नहीं आता था तो तुमने ग़ालिब को हमसे मिलवाया था अपने सीरिअल के ज़रिये... पंजाबी नहीं आती थी तो तुमने अमृता से मिलवाया उनकी नज़्में पढ़ के... ये तुम्हारी आवाज़ का ही जादू था कि पंजाबी सीखने समझने कि इच्छा हुई... और अब टैगोरे से मिलवाने जा रहे हो उनकी लिखी बंगाली कविताओं का तर्जुमा कर के... इतना कुछ करते रहते हो हम सब के लिये कि जी करता है तुम्हारी पीठ थपथपा दूँ...
Tagore Translated by Gulzar - Part 1
Tagore Translated by Gulzar - Part 2
Tagore Translated by Gulzar - Part 3
तुम शब्दों के जादूगर तो हो ही... पर तुम्हारी फिल्मों में ख़ामोशियाँ भी बोलती हैं ये "कोशिश" के ज़रिये तुमने साबित कर दिया... जहाँ मौन ना सिर्फ़ बोला, उसने लोगों के दिलों को छुआ भी और उन्हें रुलाया भी... कैसे कर पाते हो ऐसा... कैसे इतनी आसानी से समझ पाते हो इतने पेचीदा इन्सानी रिश्तों को...
कितने ग्रेसफुल लगते हो आज भी सफ़ेद कुर्ते, सफ़ेद बालों, पकी हुई दाढ़ी और मोटे फ्रेम के चश्मे में... तुम्हें देखती हूँ तो लगता है कि हमारे बाबा होते तो ऐसे ही दिखते शायद... दिल करता है कभी कि बढ़ कर चरण स्पर्श कर लूँ तुम्हारे... और आशीर्वाद ले लूँ उनकी तरफ़ से... तो कभी दिल करता है सिर पे हाथ फेर के ढेर सारी दुआएँ दूँ तुम्हें... हमेशा स्वस्थ रहो और अपनी नज़्मों और गीतों से अपने चाहने वालों के दिल ऐसे ही गुलज़ार करते रहो सदा...
जन्मदिन बहुत मुबारक़ हो गुलज़ार साब !
(राज्य सभा टी.वी. पर प्रसारित हाल ही में इरफ़ान जी द्वारा लिया गया गुलज़ार साब का इंटरव्यू)
क्या करूँ इस पोस्ट पर...अब आप ही बता दीजिये मुझे...खड़े होकर तालियाँ बजाऊं?या एक जोरदार सैल्यूट ठोक दूँ... :) :)
ReplyDeleteताली भी बजाइए और सैल्यूट भी ठोकिये... पर हमारे लिये नहीं... हमारे गुलज़ार साब के लिये :):):)
Deleteकम्माल की गुफतगू है ऋचा... हमने तो दीनां के इस फ़कीर को ही अपना दीन बना लिया.. और इत्तेफाकन आज भूल ही गया कि उनकी सालगिरह है.. कल से उनको याद कर रहा था, और आज भूल गया!! थैंक्स, इतनी प्यारी गुफ्तगू के लिए, एक बार फिर!!
ReplyDeleteअभिषेक का भी शुक्रिया यहाँ तक लाने के लिए!!
गुलज़ार के चाहने वाले गुल्ज़ारियत को पूरी शिद्दत से निभाते हैं... ज़रिया चाहे कोई बने मकसद सबका एक ही रहता है... हमारी ओर से भी शुक्रिया... आपको भी और अभिषेक जी को भी :)
Deleteसंग्रहणीय यादगार पोस्ट है ...
ReplyDeleteगुलज़ार हर दिल को यूँ ही गुलज़ार करते रहे !
बेहतरीन शब्दों में संजोये खूबसूरत भाव।
ReplyDeleteगुलज़ार साहब का जन्मदिन उनके चाहने वालों को मुबारक हो ... बहुत खूबसूरत पोस्ट ॥
ReplyDeleteक्या खूब लिखा है, पढ़ना शुरू किया तो रुक नहीं पाया। गुलज़ार साहब की शख्सियत से तो सब वाकिफ हैं। मैं भी उनका मुरीद हूं मगर आप भी कम नहीं। जिस खूबसूरती से आपने उन्हें याद किया है वह तारीफे काबिल है। बधाई।
ReplyDeletebahut achchi post
ReplyDeleteBeautiful.irresistably...
ReplyDeleteहैलो रिचा, आप वाकई बहुत ही अच्छा लिखते हो। गुलज़ार साहब को दादा फाल्के सम्मान मिलने के उपलक्ष्य में हमारा साप्ताहिक समाचार पत्र हिन्द प्रहरी (चंडीगढ़ से प्रकाशित) उन पर कुछ विशेष करना चाहता है। और हमें आपके इस ब्लॉग से बेहतर उस विशेष में देने के लिए कुछ नहीं लगता। इसलिए आपका यह ब्लॉग हम हिन्द प्रहरी में प्रकाशित करने के लिए ले रहे हैं। आपने कॉपी करना डिसएबल कर रखा है, तो पूरा ब्लॉग लिखना पड़ा है... पर कोई नहीं आपके इतने अच्छे लेखन को लोगों तक पहुंचाने के लिए यह कोई बहुत बड़ी चीज़ नहीं। आपका ब्लॉग प्रकाशित होने के बाद आपके ब्लॉग पर उसका लिंक छोड़ेंगे... शुक्रिया
ReplyDeleteशुक्रिया चित्रा इस इज़्ज़त अफज़ाई के लिए... आप अपना ईमेल आई डी दीजिये मैं मेल कर दूँगी आपको जो भी कन्टेन्ट चाहिए :)
Delete😘will comment after watching videos 😀
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