सुबह की धूप सी, शाम के रूप सी, मेरी साँसों में थीं जिसकी परछाइयाँ... देख कर तुमको लगता है तुम हो वही, सोचती थीं जिसे मेरी तन्हाईयाँ... था तुम्हारा ही मुझे इंतज़ार... हाँ इंतज़ार...
एआई अनुसंधान में भारत का बढ़ता कद
4 days ago
कुछ लम्हे कभी ख़त्म नहीं होते... हमारी यादों में ठहर जाते हैं, "फ्रीज़" हो जाते हैं... यादों की झोली से निकाले हुए ऐसे ही कुछ ठहरे हुए लम्हे...
अरे वाह...
ReplyDeleteमिथुन दा के स्टाइल में...
क्या बात ! क्या बात ! क्या बात !
:)
ReplyDeleteसुबह की धूप सी, शाम के रूप सी, मेरी साँसों में थीं जिसकी परछाइयाँ... देख कर तुमको लगता है तुम हो वही, ढूंढती थीं जिसे मेरी तन्हाईयाँ... था तुम्हारा ही मुझे इंतज़ार... हाँ इंतज़ार...
khoobsoorat kavita ke sath khoobsoorat gana
happy blogging
अरे गाना तो मैंने सुना ही नहीं था...कौन से फिल्म का ये गीत है आवाज़ तो हरिहरन की लग रही है...
ReplyDelete@ आशीष जी... शुक्रिया !!
ReplyDelete@ शेखर... शुक्रिया शेखर, "धूप" नाम की फिल्म आयी थी एक 2003 में ( http://www.imdb.com/title/tt0387164/ ) उसी का गाना है, हरिहरन और श्रेया घोषाल की आवाज़ में...
awwwesome.....! kya khoob likha hai. main to title dekhkar chali aayi thi....thank god chali aayi ;)
ReplyDeleteधन्यवाद....
ReplyDeletethik usi tarah aapki kalam ka bhi intzaar hota hai
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर .......।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर्।
ReplyDeleteयही जीने का संबल है।
ReplyDeleteमैं ये गाना भूल गया था..आनंद आ गया सुबह सुबह ये गाना फिर से सुन कर..मैंने डाउनलोड कर लिया :)
ReplyDeleteऔर आपने जो लिखा वो बहुत खूबूसरत...n photo is awesome...
मस्त लगा ये पोस्ट.. :)
जज्ब करने का ये जज्बा जज्बातों को छू गया
ReplyDeleteबहुत सुन्दर