मेरे ब्लॉग पर हर शनिवार की शाम ऐसी रचनायें प्रकाशित की जायेंगी, जो हैं तो आपकी लेकिन शायद आपने बहुत दिनों से नहीं पढ़ीं.... आप इसे दोबारा यहाँ पढ़ सकते हैं . ## किसी की अनुमति के बिना उनकी रचना यहाँ प्रकाशित नहीं होगी..... इसलिए अपनी हामी जरूर भरें....
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अपने बारे में क्या बताऊँ आपको, नवाबों के शहर लखनऊ में पली बढ़ी एक आम लड़की हूँ, a software engineer by profession... लेखिका नहीं हूँ सो शब्दों से खेलना नहीं आता, पर सराहना ज़रूर आता है और ज़िन्दगी की छोटी छोटी चीज़ों में खुशियाँ तलाशना आता है... बच्चों की मासूम किलकारी, फूलों की ख़ुश्बू, प्रकृति की शान्ति, रंग बिरंगी तितलियाँ, हवा में उड़ते गुब्बारे, बारिश की बूँदें, मिट्टी की सौंधी सी महक... बरबस ही हमें अपनी ओर खींच लेते हैं... i believe, with all its complications and uncertainties, life is still beautiful and worth living... u just have to face it with a positive attitude and take everything in ur stride !!
अच्छा लगता है न जब आपका लिखा कुछ लोगों तक पहुँचे... ख़ासकर उन लोगों तक जिनका आना जाना ब्लॉग और इन्टरनेट की इन तकनीकी गलियों में नहीं है... वो, जिनके लिए पढ़ने का ज़रिया आज भी अखबार और किताबें ही हैं... तो बेशक़ हमारे लिखे को उन लोगों तक पहुँचाइये... अगर हमारा लिखा इस लायक है... हाँ एक चिट्टी हमारे पते पर भी ज़रूर छोड़ते जाइये... थोड़ा सा हम भी ख़ुश हो लें !
har baar ki tarah shaandaar..
ReplyDeletepresentation bhi achcha hai..
Happy Blogging
क्या बात!! बड़ा चहक रहा है है ये परिंदा आज...;-)
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति....
ReplyDeleteनवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।
बहुत दिनों बाद इतनी बढ़िया कविता पड़ने को मिली.... गजब का लिखा है
ReplyDeleteसार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबस मन के परिंदे को उन्मुक्त कर ही दो ..अच्छी रचना .
ReplyDeleteआज़ाद रहे मन-पंछी
ReplyDeleteदिल खुश हो गया
ReplyDeleteमेक्सिकन घोड़े जैसी .....बेलगाम ख्वाहिशे
ReplyDeleteनवरात्री की शुभकामनाएं
ReplyDeleteमकड़े की चाल देखें यहाँ
धर्म का हाल यहाँ देखें
दिल का ये परिंदा
ReplyDeleteआज उड़ने को बेताब है।
सुंदर भावों वाली सुंदर कविता।
बेहद खूबसूरत …………।जरूर करिये आज़ाद्।
ReplyDeletemain bhi ...........
ReplyDeleteper baat kya hai
raaz kya hai
.....
waise jo ho,
khoob ji lo
bhar lo unchi udaan
meri shubhkamnayen saath hain
सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं.
ReplyDeleteआपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
bahut khoob Richa ji...........mai to fan ho gaya apka
ReplyDeleteआज ना रोको दिल की उड़ान को, दिल ये चला ....आहा हा हा हा :-)
ReplyDeleteउड़ने की बेताबी बाँध कर न रखिये, बहकने दीजिये।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर हर शनिवार की शाम ऐसी रचनायें प्रकाशित की जायेंगी, जो हैं तो आपकी लेकिन शायद आपने बहुत दिनों से नहीं पढ़ीं.... आप इसे दोबारा यहाँ पढ़ सकते हैं .
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ReplyDeleteबहुत खूबसूरत अन्दाज और भाव
ReplyDeleteउड़ान की सार्थक चाहत ..