हैरां परेशाँ सा ख़ुदा एक दिन, बैठा-बैठा सोच रहा था
इन्सान की खाल चढ़ाए ये मशीन आख़िर किसने बनायी ?
मैंने जो बनाया था "इन्सां", उसमें तो एक दिल भी था !
बेचारा ख़ुदा!! कहाँ सोचा होगा उसने कि उसकी बनायी सबसे अनुपम कृति एक दिन इस क़दर बदल जायेगी कि उसे पहचानना तक मुश्किल हो जाएगा... मनु से उत्पन्न हुआ मनुष्य, मनुष्य ने बनायी मशीन और मशीन ने इस मशीनी युग का मशीनी इन्सान... जिसमें इंसानियत के सिवा बाक़ी सब कुछ है... समय के साथ इन्सान एकदम हाई-टेक हो गया है... रहन-सहन... खान-पान... आचार-विचार... यहाँ तक की बोल-चाल की भाषा भी... हर चीज़ बदल गयी है... और तो और इमोशंस तक प्लास्टिक हो चले हैं...
कम्प्यूटर के इस युग ने ख़ासा प्रभाव डाला है आज की पीढ़ी पर... कुछ चीज़ें तो जैसे आत्मसात सी हो गयी हैं आज हमारी ज़िन्दगी में... आज ये हाल हो गया है की कंप्यूटर ही क्या आम ज़िन्दगी में भी कुछ ढूँढना हो तो मुँह से बरबस ये ही निकलता है की "गूगल" कर लो :) ... पढ़ते हुए अगर किताब में कुछ नहीं मिलता है तो लगता है काश इस किताब में भी Ctrl+F (Find Key) काम करता या फिर कहीं से कुछ देख कर लिखना पड़े तो लगता है "क्या यार Ctrl+C (Copy Key), Ctrl+V (Paste Key) होता तो कैसे चुटकियों में काम हो जाता..." कभी कुछ गलती होती तो झट से Ctrl+Z कर के Undo कर देते... ये कुछ ऐसी आदतें और ऐसे जुमले हैं जो बड़ी तेज़ी से प्रचलित हो रहे हैं आज की युवा पीढ़ी के बीच...
इस बदलती दुनिया की बदलती भाषा से प्रेरित हो कुछ बे-ख़याल से ख़याल आये थे कभी और यूँ ही कुछ अब्स्ट्रैक्ट सा लिख गया था... "इमोशंस" और "टेक्नॉलजी" की एक कॉकटेल सी बन गयी है... जाने कैसा स्वाद आया हो... ज़रा चख के बताइये तो :)
"Advanced Technology"
सुनते हैं टेक्नॉलजी बहुत अडवांसड हो गयी है
इन्टरनेट ने इन्सान की दुनिया बदल दी है
दुनिया भर की जानकारी पलों में ढूढ़ देते हैं
ये सर्च इंजन...
मैं बहुत टेक्नॉलजी सैवी नहीं हूँ
मेरी हेल्प करोगे क्या प्लीज़ ?
थोड़ा सा सुकून ढूंढ़ दो इस पर
और थोड़ा सा प्यार और विश्वास
हाँ थोड़े से फ़ुर्सत भरे पल भी...
"Oxygen"
तुम्हारे साथ के पल
अब बहुत छोटे हो चले हैं
इतने, की अब ठीक से
साँस भी नहीं आती
बीती यादों का ऑक्सीजन
कब तक ज़िन्दा रखेगा इन्हें
देखना, एक दिन इन पलों का भी
दम घुट जाएगा...
तुम्हारे साथ के पल
अब बहुत छोटे हो चले हैं
इतने, की अब ठीक से
साँस भी नहीं आती
बीती यादों का ऑक्सीजन
कब तक ज़िन्दा रखेगा इन्हें
देखना, एक दिन इन पलों का भी
दम घुट जाएगा...
"Shift+Del"
कोई ई-मेल हो तो डिलीट कर दूँ
चैट हो तो चैट हिस्टरी से इरेज़ कर दूँ
कोई पुराना डॉक्युमेंट हो तो
शिफ्ट+डिलीट कर के
रिसाइकल बिन से भी हटा दूँ
पर क्या करूँ इन यादों का,
कि दिल की हार्ड डिस्क पर
कोई कमांड नहीं चलता...
"Dialysis"
वाकई टेक्नॉलजी अडवांसड हो गयी है .....देखो तो, तुम्हारी कृतियों पर भी असर होने लगा :-)
ReplyDeletetruly brilliant..
ReplyDeletekeep writing............all the best
shaandaar likha hai... technology aur emotion ka mel ... lajawaab..
ReplyDeleteHappy Blogging
इसे कहते हैं "ज़रा हटके" :) मजा आ गया
ReplyDeleteWaki....puri tarah se technologymay post...agry to abhi...jara hatke.....mast..all the best
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