आज सुबह न्यूज़ पेपर पढ़ते हुए अनायास ही एक तस्वीर पर नज़र पड़ गयी... और तब से तुम बेइन्तहां याद आ रहे हो... अब तुम सोच रहे होगे कि ऐसी कौन सी तस्वीर देख ली हमने... याद है जान वो दौर जब हम सारा सारा दिन साथ रहा करते थे... सारा सारा दिन बातें करते... कभी साथ घूमते फिरते... कभी नाचते गाते... कभी साथ सफ़ाई करते... कभी साथ खाना बनाते... यूँ समझो वैसे ही एक पल की तस्वीर थी जब किचन में तुमने मुझे चुपके से जकड़ लिया था अपनी बाँहों में... और मज़ाक में कहा था अब कभी नहीं छोड़ूँगा तुम्हें और मैंने मन ही मन कहा था आमीन !
जाने क्यों आज सुबह से ही मन हो रहा है दूर कहीं हरी भरी वादियों के बीच जाने का... लंबी सी अंतहीन सड़क हो कोई... सुनसान सी... पर बेहद अपनी... सड़क के दोनों और हरे भरे खेत हों... उनकी मुंडेरों पर पीले जंगली फूल... गुनगुनी सी धुप और हवा में हरियाली की मादक गंध... पार्श्व में किसी बंजारन नदी का अनहद नाद... खुली हुई गाड़ी हो बिना छत की... तुम हो... मैं हूँ... बस... ऐसी कोई जगह जानते हो क्या जान ? ले चलो ना हमें वहाँ...
जानते हो इन शहरों का भी दिल धड़कता है... उनकी तासीर भी कुछ कुछ इंसानों जैसी ही होती है... उन्हें भी कभी कभी हम ठीक उसी तरह मिस करते हैं जैसे किसी इंसान को... तुम्हारे शहर से तो जैसे बरसों पुराना कोई रिश्ता है... यूँ साथ साथ ऊँगली थामे चलता है हर वक़्त गोया तुमने थाम रखा हो... जानते हो जान... तुम्हारे साथ साथ तुम्हारे इस शहर से भी मोहब्बत होती जा रही है... हर पल आवाज़ देता है ये... फिर फिर लौट आने को मजबूर करता हुआ...
कभी कभी ना बड़ा दिल करता है कि गुनगुनी धूप हो और मखमली घास पे तुम्हारी गोद में आँखें मीचे लेटी रहूँ और तुम मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरी फेवरेट किताब पढ़ के मुझे सुनाते रहो... आह.. कितना प्यारा ख्याल है ना... काश कि कभी इसे हकीकत में बदल पाऊँ... यहाँ सिर्फ़ इसलिये दर्ज करा दिया है कि सनद रहे...
किसी के प्यार में होना जितना खूबसूरत एहसास है उतना ही अपने सामने प्यार को पनपते हुए देखना भी... लगता है जैसे एक्शन रिप्ले कर के हम अपनी ज़िंदगी ही दोबारा जी रहे हों... वो छेड़ना वो मनाना... वो घंटों घंटों बातें करना.. दुनिया से बेफिक्र.. एक दूसरे की छोटी छोटी बातों का ख़्याल रखना... एक दूसरे के बारे में हर छोटी बड़ी चीज़ जान लेने की उत्सुकता... कभी कभी सोचती हूँ आजकल के लड़के लड़कियों जैसे हम कभी डेट पर नहीं गए ना जान... कभी साथ में फ़िल्म नहीं देखी... कैंडल लाइट डिनर नहीं किया... कैसा एहसास होता होगा वो... सुनो ना ! किसी दिन डेट पे चलोगे मेरे साथ... ?
भावों की अठखेलियाँ, विचारों की उन्मुक्तता।
ReplyDeleteWoooow
ReplyDeleteVery nice