पहले पन्ने के साथ शुरू हुआ ये सफ़र आज पूरे एक साल का हो गया है... कुछ खट्टे-मीठे लम्हों का, कुछ ख़ूबसूरत यादों का ये सफ़र यूँ तो अकेले ही शुरू किया था...पर रास्ते में आप सब मिले... मेरे अनजान, अजनबी दोस्त...
लम्हों का ये झरोखा जब खोला था तो दूर फ़लक पर ख़ूबसूरत लफ़्ज़ो के रूप में कई रंग तैरते दिखते थे... कभी गुलज़ार साहब का सुरमई इंद्रधनुष तो कभी निदा फ़ाज़ली साहब का तरतीब से सजाया गुलदस्ता... कई बार इन रंगों को मुट्ठी में बांधकर परोसने की कोशिश की... रंगों के इसी कारोबार ने अपनी 'मैन्युफैक्चरिंग यूनिट' डालने की हिम्मत दी और आपके स्नेह की दौलत ने इसे खूब बढ़ाया.. और अब आप सबकी हौसला अफज़ाई से यह सपना यक़ीन में तब्दील होता जा रहा है कि रंगों की यह नन्ही 'शेडबुक' स्वप्निल इंद्रधनुष की राह पा ही लेगी...
इस एक साल के सफ़र के दौरान बहुत से लोगों से परिचय हुआ ब्लॉग के माध्यम से, जिन्होंने निरंतर मुझे पढ़ा और सराहा और ये हिम्मत दी की अपने ख्यालों को.. अपने तसव्वुर को.. शब्दों का आकार दे पाऊं... इस साथ के लिये आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया... उम्मीद है ये साथ ऐसे ही बना रहेगा... आप ऐसे ही आते रहेंगे और लम्हों के इस झरोखे से झाँकते रहेंगे...
चर्रर्रर्र.. की आवाज़ के साथ जब हटी धूल
कुछ खट्टे-मीठे लम्हों का यह झरोखा खुला
एक साल पहले... आज ही के दिन...
यादों में बसे कुछ ख़ूबसूरत पलों का झरोखा
यादों की ठंडी पुरवाई बहती है उस झरोखे से
कभी हौले से मन को छू के गुदगुदा जाती है
तो कभी हाथ थाम अपने ही संग उड़ा ले जाती है
कुछ संजीदा ख़याल, कुछ अल्हड़ ख़्वाहिशें
कुछ बेबाक बातें, कुछ अनूठे ख़्वाब
ऐसा ही कुछ परोसा है अब तक
यादों की इस थाली में...
लम्हों का ये झरोखा आज एक साल का हुआ
गिरते, संभलते, घुटनों के बल, कुछ कुछ चलना सीखा है
खड़ा होने के लिये आपके सहारे की ज़रुरत है अभी
हाथ थामे रहियेगा...
-- ऋचा
ब्लॉग की पहली सालगिरह की शुभकामनाएं... यह झरोखा हमेशा यूं ही ख़ूबसूरत लफ़्ज़ाई करिश्में से आबाद रहे..
ReplyDeleteहैपी ब्लॉगिंग
ब्लॉग की पहली सालगिरह की शुभकामनाएं...
ReplyDeletelamhon kee saalgirah mubarak ho
ReplyDeleteye khyaal,ye khwahishe,ye baatein or anutthe khwaab yun hi sjati rahna congrats richa...
ReplyDeleteHappy B'day to LKJS...to pary kab de rahi ho...shado ka jadoo na chalaiye...kuch meetha khilaiye
ReplyDeleteलम्हो-लम्हों में बीतता है जीवन....
ReplyDeleteलम्हो की पहली वर्षगांठ मुबारक हो...
अभिव्यक्ति अच्छी लगी मुबारकवाद
ReplyDeleteधीरे धीरे रे मना धीरे से सब होय
माली सींचे सौ घङा रितु आये फ़ल होय
यहा तो साल दर साल गुज़रते गये.. बस अब मै कभी कभी जमी हुयी धूल झाड देता हू.. बधाईया आपको..
ReplyDeleteटु डू लिस्ट मे एक काम डाल लिया है.. आपकी नज़्मो को थोडा समय देकर पढना है.. देखिये जल्द ही शायद..