यादें इंसान की सबसे बड़ी जमा-पूंजी होती हैं... तमाम रूपये, पैसे... हीरे, जवाहरात...ज़मीन, जायदाद से भी ज़्यादा अनमोल... उन्हें सदा सहेज के हिफाज़त से रखना चाहिये... मन के "लॉकर" में... कई पर्तों के नीचे... कुछ अपनों के साथ बीते वो अनमोल पल जो कहने को तो बीत चुके हैं पर आपकी यादों में ठहर जातें हैं और यादों के झरोखे में झाँक कर आप कभी भी उन्हें दोबारा जी सकते हैं... महसूस कर सकते हैं... ख़ुश हो सकते हैं..
बड़ा अच्छा लगता है यादों में ठहरे उन बेशकीमती पलों को दोबारा जीना... आइये आपको एक "इंस्टंट फ़ॉर्मूला" बताते हैं उदासी दूर करने का :-)... जब भी कभी ये मन उदास हो किसी अपने के साथ बिताया कोई ख़ूबसूरत सा लम्हा निकालिये यादों की टोकरी से और बस... यादों की पगडण्डी पे चलते चलते ये उदासी कब गायब हो जायेगी और एक मीठी सी मुस्कान छोड़ जायेगी आपके होंठों पे आपको पता भी नहीं चलेगा... बड़ी कमाल की होती हैं ये यादें... बड़ा अच्छा जादू आता है इन्हें... सच... गर मेरी बात का यकीन ना हो तो कभी आज़मा के देखिएगा ये फ़ॉर्मूला...
आपका पता नहीं पर हमारे लिये तो ये यादें अनमोल हैं... हमारे परिवार, भाई, बहन, दोस्तों के साथ बीते पलों की यादें... कभी अकेले में बैठ के उनमें खो जाओ तो अकेलापन लगता ही नहीं.. लगता है अभी सब साथ ही हैं... आँखों के आगे वो सारे पल यूँ तैर जाते हैं जैसे वो सब अभी अभी हुआ हो... कानों में हँसी की खनक कुछ यूँ गूंजती है जैसे कोई बगल में ही बैठ के खिलखिला रहा हो... और कुछ पल के लिये ज़िन्दगी एक बार फिर महक उठती है उन यादों से...
अब ज़रा सोचिये आपकी यादों के इस अनमोल ख़ज़ाने में कोई सेंध लगाने की कोशिश करे तो ?? आपको गुस्सा नहीं आएगा... हमें भी आया कल रात... क्यूँ ? आप ही पढ़िये...
कल शब चाँद को रंगे हाथों पकड़ा मैंने
खिड़की के रस्ते मेरे पलंग तक आया था
और मेरे पास पड़े उस यादों के संदूक में
सेंध लगा के चुराने जा रहा था
तुम्हारी यादें
तुम्हारे साथ बीते उन सुनहरे पलों की यादें
वो तो भला हो उसकी रौशन चाँदनी का
जो कमरे में उजाला कर जगा गयी मुझे हौले से
वरना कंगाल हो गयी होती कल मैं तो...
सोचती हूँ FIR करवा दूँ...
-- ऋचा