ये जो रंग बिरंगी कतरने हैं ना
तुम्हारे साथ बिताये वक़्त की
जी चाहता है इन कतरनों को जोड़
एक मुकम्मल उम्र सी लूँ
एक ख़ूबसूरत ज़िन्दगी बना लूँ
एक लम्बा सा दिन सियूँ
तुम्हारे साथ का
और एक लम्बी सी रात
हाँ कुछ सुस्त से लम्हों को चुन
एक फ़ुर्सत भरी दोपहर भी
वो कुछ पल कि जिनमे तुम
सिर्फ़ मेरे पास होते हो
दिल और दिमाग से
उन चमकीले पलों को जोड़
एक शबनमी शाम भी सी लूँ
सोचो गर ऐसा कर पाऊँ
ये ज़िन्दगी कितनी ख़ूबसूरत हो जाये
हर एक पल में तुम्हारा साथ पा के
और मैं इस ख़ूबसूरत उम्र को पहन
इतराती फिरूँ इस दुनियाँ में...
-- ऋचा
bahut khoob..
ReplyDeletejitni khoobsoorat aapki rachna hai, utni hi khoobsoorat aapne pic bhi lagayee hai...
Happy Blogging
Sach! Aisa ham kar payen to zindagi kitnee haseen ho jaye!
ReplyDeleteTasveer wala patchwork to lag raha hai jaise meri chaddar parse utha liya ho!
excellent ..... saath ke palon ki silaai , isse khoobsurat paridhan aur kya !
ReplyDeleteइन्ही कतरनों से पूरा जीवन तैयार हो जाता है।
ReplyDeleteवक्त है कि कतरा कतरा ही मिलता है। सिलना तो उसे हमें पड़ता ही है।
ReplyDeleteउन चमकीले पलों को जोड़
ReplyDeleteएक शबनमी शाम भी सी लूँ....
bahut hi khoob...
Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....
A Silent Silence : Zindgi Se Mat Jhagad..
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आपकी रचना बहुत प्यारी है ....वो गुलजार के शब्द याद आ गये ....
ReplyDeleteकतरा कतरा मिलती है
कतरा कतरा जीने दो
जिंदगी है, बहने दो ....
इजाज़त मेरी पसंदीदा फिल्म है :)
के एक साहब है .जो अक्सर हमारे दिल के जाने कौन कौन से कोनो के बल्ब सरे बाजार जला जाते है .....आपकी भी अच्छी वाकीफियत है उनसे .उन्हें कही कहा था ..
ReplyDeleteबड़ी हसरत है पूरा एक दिन, इक बार मैं
अपने लिये रख लूं
तुम्हारे साथ पूरा एक दिन, बस खर्च करने कि तमन्ना है!!
First of All ye Skirt chahiye....katran waali hi sahi...khoobsoorat to hai.
ReplyDeleteNow second....Ye sab kahan, kab, kaise hua hamko to pata hi nahi chala :-)
गुलज़ार साहेब की याद आ गयी...
ReplyDeleteऔर आपकी मासूम ख्वाहिश के तो क्या कहने.. कभी दिन कस्ट्माईज और अब ज़िन्दगी की सिलाई/बुनाई अपने ढंग से.. सुन्दर..
इन्हीं कतरनों को बहुत सँजोकर रखना पड़ता है.
ReplyDeletebahut khoob ji ,
ReplyDeletekavit apadhte hue aankhe kahin nam hui.. dil ki baato ko aapne kitne acche se shabdo me utaara hai ..
BADHAI
VIJAY
आपसे निवेदन है की आप मेरी नयी कविता " मोरे सजनवा" जरुर पढ़े और अपनी अमूल्य राय देवे...
http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html
ये तो गुलजार की लिखी पंक्तियाँ हैं
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