Thursday, April 6, 2017

केरल डायरीज़ - २ : मिलना जल पर्वत से !



२९ जनवरी २०१७

बाहुबली फ़िल्म देखी है आपने ? अगर हाँ तो वो जल पर्वत तो याद ही होगा आपको... वो विशालकाय ख़ूबसूरत सा झरना जिस पर बाहुबली बचपन से चढ़ना चाहता है और अंततः चढ़ ही जाता है अपनी प्रेमिका से मिलने... जब पहली बार उस झरने को फ़िल्म में देखा था तभी से ये जिज्ञासा बनी हुई थी की क्या वाकई ऐसा कोई झरना है हिन्दुस्तान में... इतना विशाल... हालांकि ये तो अंदाज़ा था ही की कुछ तो फोटोग्राफी का कमाल है... फ़िर भी उसके बारे में जानने को गूगल खंगाला तो पता चला की वो केरल के थ्रिसूर डिस्ट्रिक्ट में स्थित अथिरापल्ली फॉल्स हैं... और सिर्फ़ बाहुबली ही नहीं दिल से, रावण, गुरु, पुकार और भी तमाम फ़िल्मों के गाने और सीन्स यहाँ शूट किये जा चुके हैं... बस तब से ही ये झरना केरल ट्रिप के हमारे "प्लेसिज़ टू विज़िट" लिस्ट में था... तो हमारी केरल यात्रा का दूसरा दिन इन फाल्स के नाम रहा... 

कोच्ची से करीब ७० किलोमीटर या यूँ कह लें की 2 घंटे की दूरी पर था ये फॉल... रास्ता बहुत सुन्दर नहीं था या फ़िर गर्मी के कारण पेड़ झुलसे झुलसे लग रहे थे... एक बार शहर पीछे छूटा तो गाँव के बीच से गुज़रती उबड़-खाबड़ सड़क भी बहुत ज़्यादा इनवाईटिंग नहीं लग रही थी... ऊपर से गर्मी इस कदर... लखनऊ के १२ डिग्री टेम्प्रेचर में सारा दिन जिस धूप की राह देखते थे कोच्ची के ३२ डिग्री टेम्प्रेचर में वो बरदाश्त के बाहर हो रही थी... ना शरीर और ना ही दिमाग एक दिन में हुए इस २० डिग्री के टेम्प्रेचर स्विच के साथ एडजस्ट कर पा रहा था... एक बार को तो लगा कि क्या यही वो केरल है जिसकी लोग तारीफ़ करते नहीं थकते... क्या इसी केरल को देखने के लिए हमने इत्ती जद्दोजहद की... देवभूमि की ऐसी कल्पना तो नहीं की थी हमने... खैर ये सब शायद गर्मी का ही असर था...

फॉल्स काफ़ी पहले ही टिकट काउन्टर है... टिकट ले कर गेट तक पहुँचे तो पता चला की गेट से करीब १०० मीटर अन्दर जाना है पैदल व्यू पॉइंट तक... पहाड़ी रास्ता था.. ऊँचा नीचा... यूँ तो ईंटो की सड़क बनी हुई थी पर रास्ते भर बहुत से बन्दर थे... बुज़ुर्गों या बच्चों के बैठने के लिए भी कोई बेंच वगैरा नहीं... ये बात बहुत अखरी हमें क्यूँकि हमारे साथ अधिकतर सीनियर सिटिज़न्स ही थे... खैर जैसे तैसे व्यू पॉइंट तक गए तो पता चला की अभी और नीचे जाना है... झरने की तलहटी तक... करीब करीब १०० मीटर की खड़ी ढलान और... जो बस नाम का ही रास्ता था... पगडण्डी मात्र... अब बड़े लोग तो किसी हाल में भी उसके आगे नहीं जा सकते थे.. तो सबको वहाँ बने एक रेस्टोरेंट में बिठा के हम बच्चे आगे चल दिये... 

अब तक झरने की एक झलक मिल चुकी थी.. तो और पास से उसे देखने की उत्सुकता बढ़ गयी थी... नीचे पहुँचे तो सफ़र की सारी थकान जैसे चंद सेकेंड्स में काफ़ूर हो गयी... सामने दिख रहा सफ़ेद झरना वाकई जल पर्वत था... ८० फूट की ऊँचाई से गिरता ये झरना चलाकुडी नदी पर स्थित है... इतनी ऊँचाई और इतना वेग था झरने में की पानी की बूंदे जैसे सफ़ेद रेशमी दुपट्टे में तब्दील हो गयी थीं... मन हो रहा था बस वहाँ पत्थरों पर बैठे पानी की बूंदों को यूँ धुएँ सा उड़ते हुए देखते रहें... जाने कितनी फ़ोटो और कितने वीडियो बना डाले ज़रा सी देर में.. हर ऐंगल से... बाहुबली फिल्म की बात करें तो वो पेड़ याद है क्या आपको जब जल पर्वत चढ़ने के दौरान सबसे आख़िर में रस्सी बाँध के तीर फंसाता है बाहुबली... वो पेड़ भी बनावटी नहीं था.. सच में था... १०० प्रतिशत असली.. बस फिल्म जितना बड़ा नहीं था पर था... हमने देखा उसे भी :)


अथिरापल्ली वाकई बहुत विशाल जलप्रपात है और उसे "निआग्रा ऑफ़ इंडिया" नाम मिलना कोई अतिश्योक्ति नहीं है... ये हाल तब था जब पिछले साल वहाँ बारिश कम हुई थी.. मानसून में जब ये झरना अपने चरम पे होता है तो वहाँ नीचे तक जाने की परमिशन नहीं होती... तब ऊपर व्यू पॉइंट से ही इसे देखा जा सकता है... नीचे इतना वेग होता है की कुछ ठहर ही नहीं सकता उसके आगे... वहाँ से वापस आने का मन तो नहीं हो रहा था फ़िर भी थोड़ी देर रुकने के बाद हम वापस आ गये... उतरते वक़्त की खड़ी ढलान अब वापस ऊपर चढ़ते वक्त खड़ी चढ़ाई बन चुकी थी.. बार बार बस एक ही ख़याल मन में आ रहा था कि इतनी सुन्दर जगह और रखरखाव इतना बुरा... क्यूँ हम हिन्दुस्तान के निआग्रा को थोड़ा और मेन्टेन कर के नहीं रख सकते... कम से कम टिकट लेते वक़्त ये तो आगाह किया ही जा सकता है की बुज़ुर्ग लोग या बच्चे इतना पैदल चल पाने की स्थिति में हों तो ही आगे जायें... खैर हम तो जब सुधरेंगे तब सुधरेंगे... सुधरेंगे भी या नहीं क्या पता... पर एक बार मानसून में इस जल पर्वत से फ़िर मिलने की इच्छा है !



( नोट - सभी फ़ोटो को बड़ा कर के देखने के लिए उन पर क्लिक करें )


2 comments:

  1. bahut achcha.. man me yaha jane ki icchcha jaag gayee

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  2. Gazab ki post hai Richa. Ab to dono kadiyan padhne ke baad kerala ghumne ka aur bhi man kar raha hai. Kabhi baithkar sukoon se aapse detail mein sunenge Kerala trp ki kahani. Mujhe aise trip ke kissey bade achhe lagte hain sunne mein :)

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दिल की गिरह खोल दो... चुप ना बैठो...