Monday, December 6, 2010

साँझ...


सुबह की धूप सी, शाम के रूप सी, मेरी साँसों में थीं जिसकी परछाइयाँ... देख कर तुमको लगता है तुम हो वही, सोचती थीं जिसे मेरी तन्हाईयाँ... था तुम्हारा ही मुझे इंतज़ार... हाँ इंतज़ार...

12 comments:

  1. अरे वाह...
    मिथुन दा के स्टाइल में...
    क्या बात ! क्या बात ! क्या बात !

    ReplyDelete
  2. :)
    सुबह की धूप सी, शाम के रूप सी, मेरी साँसों में थीं जिसकी परछाइयाँ... देख कर तुमको लगता है तुम हो वही, ढूंढती थीं जिसे मेरी तन्हाईयाँ... था तुम्हारा ही मुझे इंतज़ार... हाँ इंतज़ार...

    khoobsoorat kavita ke sath khoobsoorat gana

    happy blogging

    ReplyDelete
  3. अरे गाना तो मैंने सुना ही नहीं था...कौन से फिल्म का ये गीत है आवाज़ तो हरिहरन की लग रही है...

    ReplyDelete
  4. @ आशीष जी... शुक्रिया !!

    @ शेखर... शुक्रिया शेखर, "धूप" नाम की फिल्म आयी थी एक 2003 में ( http://www.imdb.com/title/tt0387164/ ) उसी का गाना है, हरिहरन और श्रेया घोषाल की आवाज़ में...

    ReplyDelete
  5. awwwesome.....! kya khoob likha hai. main to title dekhkar chali aayi thi....thank god chali aayi ;)

    ReplyDelete
  6. बहुत ही सुन्‍दर .......।

    ReplyDelete
  7. मैं ये गाना भूल गया था..आनंद आ गया सुबह सुबह ये गाना फिर से सुन कर..मैंने डाउनलोड कर लिया :)

    और आपने जो लिखा वो बहुत खूबूसरत...n photo is awesome...

    मस्त लगा ये पोस्ट.. :)

    ReplyDelete
  8. जज्ब करने का ये जज्बा जज्बातों को छू गया
    बहुत सुन्दर

    ReplyDelete

दिल की गिरह खोल दो... चुप ना बैठो...