Friday, December 3, 2010

क्या कहिये मियां क्या है इश्क़...


लोग बहुत पूछा करते हैं, क्या कहिये मियां क्या है इश्क़
कुछ कहते हैं सर-ए-इलाही, कुछ कहते हैं ख़ुदा है इश्क़
उल्फ़त से परहेज़ किया कर, कुल्फ़त इसमें निहायत है
यानी दर्द-ओ-रंज-ओ-ताब है, आफ़त-ए-जां है, बला है इश्क़
-- मीर तक़ी मीर


"यहाँ" फिल्म की नायिका जब आतंकवाद से ऊब कर अपनी जन्नत जैसी कश्मीर की धरती को उजड़ता हुआ देखती है और एक मासूम सा सवाल करती है अपनी दादी से "हम प्यार करना भूल गये क्या दादी ?" ... तो दिल सोचने को मजबूर हो जाता है... क्या वाकई ? हम प्यार करना भूल गये हैं ? या प्यार की परिभाषा बदल गई है ? प्यार की कोई परिभाषा होती भी है क्या ? प्यार को परिभाषित करना सम्भव है क्या ?

प्यार... अनंत काल से चला आ रहा एक गूढ़ रहस्य है शायद... मनु श्रद्धा के समय से... या उससे भी पहले से... जब इस सृष्टि का निर्माण हुआ था... या फिर दिमाग़ में हुआ कोई "केमिकल लोचा"... जैसा कि आजकल के वैज्ञानिक कहते हैं... या मीरा का समर्पण... या राधा का पागलपन... या फिर कान्हां की बाँसुरी... जिसके सुरों के जादू से मंत्रमुग्ध हो इन्सान तो क्या पशु, पक्षी तक खिंचे चले आते थे... या फिर आजकल के सन्दर्भ में लें तो "इन्फ़ैचुएशन" या सिर्फ़ "फ़िज़िकल अट्रैक्शन"...

आख़िर है क्या ये प्यार... कभी लगता है ईश्वर है... भक्ति है... शक्ति है... निष्पाप... निश्छल... निस्वार्थ... कभी लगता है ये ज़िन्दगी का सबसे ख़ूबसूरत एहसास है जिसके बिना ज़िन्दगी कितनी खोखली हो जायेगी... कभी लगता है बन्धन है और कभी लगता है इसमें डूब के ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है... ये मिलन भी है... जुदाई भी... ये ख़ुदा भी है... ख़ुदाई भी... अपरिमित और असीम... कभी राम... कभी रहीम... कभी आशा कभी विश्वास... कभी अनुराग कभी विराग... कभी ज्वर कभी भंवर तो कभी एक शान्त सरोवर...

प्यार इक दुआ है... और उस दुआ का कुबूल होना भी... प्यार एक प्यारा सा एहसास है जो आपके समस्त अस्तित्व को ख़ुशी से भर देता है... क्यूँ होता है ये तो नहीं पता, बस होता है तो होता है और जब होता है तो आपको पूर्ण होने का एहसास देता है... एक ऐसी निस्वार्थ भावना जो आपको अपने प्रिय के लिये बिना किसी स्वार्थ कुछ भी करने के लिये प्रेरित करती है... प्यार ख़ुशबू है... प्यार जादू है... प्यार ये सब है और बस प्यार है....

जाते जाते प्यार के दो रंग छोड़े जा रही हूँ आपके लिये, देखिये, सुनिये और मोहब्बत में डूब जाइये बस...





इक लफ्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है


10 comments:

  1. वाह, एक ही पोस्ट में पढ़ने, देखने, सुनने और महसूस करने का आनंद.. जवाब नहीं..

    हैपी ब्लॉगिंग

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  2. कल आधी रात जब कोहरा गिर रहा था... रेडिओ पर गाना चलाया था "रब सबसे सोणा- इश्क - इश्क, रब से भी सोणा - इश्क" रूहानी ताकत थी, उसी कि बात करूँगा... इश्क पर कुछ बेहद अच्छी बातें/कहानियाँ आपको लहरें वाली पूजा और दिल के बात वाले डॉ. अनुराग के ब्लॉग पर भी मिलेगा... कुछ बहुत रोचक हैं तो कुछ बेहद संगीन किस्म के...

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  3. आपने सच ही कहा है कि इश्क को परिभाषित करना आसान नही है। कई रूपों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता है ये प्यार। वैसे इंसान आज के जमाने में इतना स्वार्थी हो गया है कि हर चीज को वह मतलब के लिए ही उपयोग में लाता है। कहने का मतलब अगर वो करे तो प्यार और कोई और करे तो बेकार। दूसरों का प्यार इंसान की ऑंखों में कुछ ज्यादा ही खटकता है। वो गुनाह नहीं गुनाह ए अजीम का दर्जा पा जाता है।
    महान ‘शायर गालिब का एक ‘शेर है
    ईश्क पे जोर नही है ये वो आतिश गालिब।
    बहुत ही अच्छा लगा पढ़कर। धन्यवाद।

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  4. बहोत ही सुन्दर पोस्ट है ........

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  5. आख़िर है क्या ये प्यार... कभी लगता है ईश्वर है... भक्ति है... शक्ति है... निष्पाप... निश्छल... निस्वार्थ... कभी लगता है ये ज़िन्दगी का सबसे ख़ूबसूरत ख़ूबसूरत एहसास है जिसके बिना ज़िन्दगी कितनी खोखली हो जायेगी... कभी लगता है बन्धन है और कभी लगता है इसमें डूब के ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है... ये मिलन भी है... जुदाई भी... ये ख़ुदा भी है... ख़ुदाई भी... अपरिमित और असीम... कभी राम... कभी रहीम... कभी आशा कभी विश्वास... कभी अनुराग कभी विराग... कभी ज्वर कभी भंवर तो कभी एक शान्त सरोवर...
    pyaar hai yahi to pyaar hai

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  6. प्रेम को परिभाषित करन सबके बस की बात नहीं।

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  7. वाह!इश्क बताते-बताते दिखाया भी और सुनाया भी....हर एक अंदाज एक से बढ़ कर एक...

    कुंवर जी,

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  8. Aapne to Gulzaar ji kaa geet yaad dila diya..."Hamne dekhi hai un aankhon kee mahakti khushboo..."Sach hai,pyar ko paribhashit nahi kiya jaa sakta hai!

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  9. Hello Richa jee, aaj ke Hindustan paper me aapka blog padha or fir net par search kiya, bahut achha or pyara likhti hain aap bahut-bahut badhaiya :D

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दिल की गिरह खोल दो... चुप ना बैठो...