Thursday, June 16, 2011

तेरी ख़ामोशी के सुर...


बचपन में पढ़ा था "एनर्जी" के बारे में
ना तो उसे बनाया जा सकता है
ना ही ख़त्म किया जा सकता है
सिर्फ़ उसका रूप बदला जा सकता है

वैज्ञानिकों ने ये साबित भी कर दिया
युगों पहले कृष्ण के दिये गीता उपदेश
अब तलक इस ब्रह्माण्ड में घूम रहे हैं
और "बीटल्स" का संगीत भी...

"साउंड एनर्जी" का तो समझ आता है
पर तुम्हारी ख़ामोशी के सुर कैसे गूंजा करते हैं
यूँ अविराम... अविरल... हर पल...
मेरी धड़कन में...

किस सप्तक के सुर हैं ये
कि कोई और नहीं सुन पाता इन्हें
तुम्हारे दिल से निकलते हैं
और मेरे दिल को सुनाई देते हैं बस

तुमसे मीलों दूर बैठे हुए भी
मुझ तक पहुँचते कैसे हैं ये...
इस मीलों लम्बे निर्वात में
कौन है इन सुरों का संवाहक ?

हंसो नहीं... बताओ ना प्लीज़
देखो ना
आज भी मेरी फ़िज़िक्स
बेहद कमज़ोर है...

-- ऋचा



बाँसुरी पर पं. हरी प्रसाद चौरसिया, संतूर पर पं. शिव कुमार शर्मा और गिटार पर पं. ब्रिज भूषण काबरा
राग : पहाड़ी, ताल : कहरवा
अल्बम : कॉल ऑफ़ दा वैली (1967)

25 comments:

  1. bahut khoob richa... ap bilkul sahi samajh rahi ho aur is baat ko samjane ya aur adhik samajhne k lie ek link per ja skti ho...

    http://pragyan-vigyan.blogspot.com/ is per apke bahut sare sawalon ke jawab mil sakte hain!

    Waise ham bhi lucknow se hain!!!

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  2. Kitni pyari-si takraar hai ye....maasoom-si iltija!

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  3. ख़ामोशी के स्वर ... बहुत सुन्दर नज़्म

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  4. वाह ... बहुत खूब कहा है, सुन्‍दर भावों के साथ

    बेहतरीन रचना ।

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  5. bahut khoob... itne achche presentation ke sath physics aaj tak nahi padhi :)

    Happy Blogging

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  6. ख़ामोशी के सुर गूंजते ही है अमर आत्मा की तरह , फिजिक्स भले कमजोर रहे कैमेस्ट्री जरूर मजबूत होनी चाहिए मुट्ठी भर पांडवों के साथ कृष्ण की तरह, नयी तरह की कविता के बेहतरीन शब्दों के लिए बधाई

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  7. love this post....
    एनर्जी से मुताल्लिक बहुत कुछ पिछले दिनों दिमाग में गुजरा था ...कुछ आडा तिरछा सा लिखा भी था .गुलज़ार साहब की सोहबत का असर था ..
    आखिरी लाइन कमाल की है ....
    आज भी मरी फिजिक्स बहुत कमजोर है !

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  8. सब विश्व में अभी भी गूँज रहा है।

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  9. Bahut sunder.... आज भी मरी फिजिक्स बहुत कमजोर है ! :)

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  10. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 21 - 06 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    साप्ताहिक काव्य मंच-- 51 ..चर्चा मंच

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  11. spiritual thinking is not a sound of all ,but love of mind & heart only . very adhesive & suffistik
    one . Thanks .

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  12. ख़ामोशी के स्वर का इफेक्ट ..एक नयी थ्योरी बन सकती है ...
    स्वरलहरियों ने बस मोह ही लिया !
    इसे मेल से भेज सकती है क्या ??

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  13. bahut hi sunder bhav liye kisi ki yaadon main doobi bemisaal rachanaa.badhaai sweekaren.



    please visit my blog.thanks.

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  14. physics chahein kitni padh lein ..ye aisi cheezen hai jo kabhee samaj nahi aayi....ki kisi ka moun sangeet ab bhee gunjata hai mujhme kanhi

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  15. mehsoos karo aur jab tak mehsoos kar paogi khush rahogi...jab ye feelings khatam ho jayengi....tumhari physics ke saath sath tumhari sixth sense bhi kamjor ho jayegi....so keep it up. :)

    sunder abhivyakti.

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  16. waah.,..beautiful post, as always :)

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  17. तुमसे मीलों दूर बैठे हुए भी
    मुझ तक पहुँचते कैसे हैं ये...
    इस मीलों लम्बे निर्वात में
    कौन है इन सुरों का संवाहक ?

    ............ बहुत खूब

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  18. कल 02/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  19. अनहद नाद है ....
    प्रेम की गहराई अधिक होने से सुन पा रही हैं आप ....इतनी सुंदर रचना के लिये हार्दिक बधाई ....एवम शुभकामनायें.

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  20. E= mc2 ?????????????????

    wave length matched !!!!

    jokes apart richa..
    excellent poem....

    anu

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  21. वाह! अलग ही अंदाज की रचना....

    सादर।

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  22. यही तो होती है खामोशी के सुरों की खासियत्।

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  23. ख़ामोशी के सुर बहुत सुन्दर भाव भीनी रचना...
    सुन्दर :-)

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दिल की गिरह खोल दो... चुप ना बैठो...