मौन आँखों में चंद ख़्वाब
और होंठों पर दुआ लिये
हाँथों से टटोल-टटोल के
तुम्हारा हर क़तरा महसूसते हुए
हर्फ़-हर्फ़,
सफ़्हा-सफ़्हा
रोज़ यूँ पढ़ती हूँ तुम्हें
गोया
तुम हो इक क़ुरान
और मैं
बे-नूर आबिदा कोई
देख नहीं सकती तुम्हें, लेकिन
चूम के महसूस करती हूँ
तुम्हारी
पेशानी की
आयतें कभी
और कभी ताबीज़ सा तुझे
गले में बाँध लेती हूँ...
-- ऋचा
बहुत अच्छा लिखा है आपने... मेरे जैसे उर्दू ज़ुबान में तंग पाठकों की सुविधा के लिए कठिन उर्दू शब्दों पर माउस लाने से आने वाले अर्थ की सुविधा देकर आपने बहुत उपकार किया है.. वरना यह रचना पूरी तरह समझ नहीं आती
ReplyDeleteहैपी ब्लॉगिंग
pyaar ke ankahe harf aise hi hote hain
ReplyDeleteकुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
ReplyDeleteबढ़िया रचना ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर... फिजा वैस्से आज दिल्ली की भी कुछ बदली हुई है... बारिश हुई है... कहने वाले कहते हैं कि पवित्र दिन है आज छठ कि सुबह है इसलिए . मैं कहता हूँ होगा पवित्र दिन पर वजेह यह नहीं होगी... आसमान ने बूँद भेज कर धरती को चूम सलाम भेजा है.
ReplyDeleteथोड़ी अमृता सी ......थोड़े गुलज़ार से .....ओर पूरी ऋचा....
ReplyDeleteदिल को छू गई ये नज़्म..
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत नज़्म ....पाकीजा सी ..
ReplyDeleteKya gazab likha hai!
ReplyDeleteइस बार तो हैरान कर दिया....गज़ब
ReplyDeleteabhi kal hi to padhaya tha...aaj post bhi kar diya...sachchi gulzaar hi avtarit hue hain...sahmat hoon Dr. Anuraag se Amrita ki bhi jhalak hai....Mood off tha padha to achcha laga ...sahi ja rahi ho dear
ReplyDeleterealy very nice poem..........
ReplyDeleteस्पर्श को शब्द दे दिये……………बेहतरीन शबद रचना।
ReplyDeleteशबद को शब्द पढा जाये
ReplyDeleteखुबसूरत अहसास ,अच्छी नज्म मुबारक हो
ReplyDeleteवाह, भावों का सुखद स्पर्श।
ReplyDeleteवाह ... क्या भाव पिरोये हैं आपने नज़्म में ... बहुत खूब ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्द .. सुन्दर भाव ... सुन्दर रचना
ReplyDeletebadhiya hai..gulzar saab poori tarah haavi hain... wo ek nazm ... "quraan hathon me le ke nabeena ik namaji" is nazm ki poori chhaap dikh rahi hai ...
ReplyDeleteएहसास कि नदी गुनगुनाने लगी ... बहुत खूब likha है ...
ReplyDeleteसुन्दर शब्द और हल्का सा स्पर्श का एहसास
ReplyDeleteइतना खूबसूरत लिखने के पीछे गुलज़ार और फैज़ ही तो हैं :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है ऋचा जी आपने..
आज आपके एक और ब्लॉग पे पहली बार गया - फैज वाले ब्लॉग पे...मुझे पता ही नहीं था उसके बारे में... :O
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा..कमाल के पोस्ट्स हैं उसमे...
लेकिन एक बात, गूगल क्रोम से खोलने पे उसमे Malware detected आ रहा है..ज़रा देख लीजियेगा आप..
खुबसूरत रचना
ReplyDeleteकभी यहाँ भी आये
www.deepti09sharma.blogspot.com
kya khoob likha hai ji
ReplyDeletepadhkar bahut der chup hi raha ..
waah waah
keep it up
vijay
kavitao ke man se ...
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behad sunder likhi hain aap.
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