Wednesday, April 9, 2014

तुम्हारी बातों में कोई मसीहा बसता है...!



तुमसे बात करना हर रोज़ डायरी लिखने जैसे है... सारे दिन की उथल पुथल... मन के सारे अजीब-ओ-गरीब ख्य़ाल... दुविधाएँ... व्याकुलता... ख़ुशियों के छोटे छोटे लम्हें... सब कुछ तुम्हें बता के, तुम्हें सौंप के... ख़ुद को एकदम खाली कर देने जैसा... फिर से एक नये दिन के नये अनुभव इकट्ठे करने के लिये... जानते हो ना लिखने के मामले में थोड़ा आलसी हूँ... सो तुमसे ही काम चला लेती हूँ... जिस दिन तुम नहीं मिलते लगता है कितना कुछ रह गया है भीतर ही... जिसे निकलना था बाहर... जो तुम्हें बताना था... मन सारा दिन बेचैन रहता है...

तुमसे बात करना सारे दिन की थकन के बाद अपना पसंदीदा संगीत सुनते हुए शाम की ठंडी हवा में बैठ के इलायची वाली चाय पीने जैसा है... रिलैक्सिंग ! मन को नयी स्फूर्ति से भर देने वाला...

तुमसे बातें करना ऐसे है जैसे लू भरी दोपहर में ठन्डे पानी का एक घूँट मिल जाना... आत्मा को तृप्त कर देने जैसा... चिलचिलाती धूप में बरगद की विशाल छाया मिल जाने जैसा...

तुमसे बात करना किसी उमस भरी शाम पानी के पोखर में पैर डाल के घंटों बैठे रहने जैसा है... ठंडक तलवों से होते हुए कब मन तक पहुँच जाती है पता ही नहीं चलता...

तुमसे बात करना कोई तस्वीर पेंट करने जैसा है... मन के सारे रँग कैनवस पे उकेर देने जैसा... हल्के आसमानी... गहरे हरे... सुर्ख़ लाल...

तुमसे बात करना सृजन करने जैसा है... किसी बच्चे को जन्म देने जैसा... ख़ुद को परिपूर्ण करने जैसा...

तुमसे बात करना सिर्फ़ तुम्हारे साथ समय बिताने का एक निमित्त मात्र है... जिसे किसी भी वजह की ज़रूरत नहीं होती...

सांझ ढले तुम्हारी आवाज़ कानों में घुलती है तो दिन भर में मन पर उभर आयी सारी ख़राशों पर मलहम सा लग जाता है...

मानती हूँ हम बहुत झगड़ने लगे हैं इन दिनों... पर एक आदात जो हम दोनों में एक सी है... बुरे पल हम कभी याद नहीं रखते... तुम्हारी यादों की भीनी गलियों में उन पलों को आने की इजाज़त नहीं है... वहाँ सिर्फ़ तुम्हारी मिठास बसती है... और तुम... मुस्कुराते हुए... गुनगुनाते हुए... बादल बिजली... चन्दन पानी... जैसा अपना प्यार...!


11 comments:

  1. आपने अपने परिचय में लिखा है आपको शब्दों से खेलना नहीं आता पर आपकी लेखनी देखने के बाद लगता है आपके पास शब्दों की शानदार जादुगरी है...बहुत अच्छा लिखा है..अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर :)

    ReplyDelete
  2. bahut achcha likha hai aapne... Happy blogging.

    ReplyDelete
  3. अहा...जानता हूँ की इधर आऊंगा तो ऐसी ही प्यारी बातें मिलेंगी पढने को ! :)

    ReplyDelete
  4. very nice lines ..sweet and simple style of writing ....feelings are alive in your words ..!!

    ReplyDelete
  5. Hi Richa, can I use ur blog in my weekly news Paper that is Hind Prahari... They are very well written blogs & people should have a chance to read them. I wanna use ur blog Guljarish... My paper's FB link is https://www.facebook.com/hindpraharichandigarh & Blog link is http://hindprahari.blogspot.in/

    ReplyDelete
    Replies
    1. Hi Chitra ! Thanks for the appreciation.. You can use any of the blog post that you like... It would be a pleasure if more people get a chance to read them. Just send me a link at lamhon.ke.jharokhe.se@gmail.com whenever you publish them... :)

      Delete
  6. Hello Richa, People have loved ur blog. we have received around a dozen mails applauding ur writings. One of the readers has written - हिंद प्रहरी का शुक्रिया कि वो हमें इतने अच्छे लेखकों से रूबरू करवा रहा है। मैं रिचा जी को बधाई देना चाहता हूं और हिंद प्रहरी को भी जिसमें खबरे देने के साथ, आम लोगों के बीच से हीरे तलाशने का हुनर हैं.." thanks very much for letting us use ur blog. Below is the blogspot link where we have published ur blog http://hindprahari.blogspot.in/2014/05/blog-post_1555.html

    ReplyDelete
    Replies
    1. Hi Chitra, Thanks a ton ! m overwhelmed to hear that people have liked it so much :)

      Delete
  7. और डायरी लिखना भी जैसे तुमसे बात करना

    ReplyDelete
    Replies
    1. तुम्हारे पास फ़ोन करने का भी आप्शन है :)

      Delete

दिल की गिरह खोल दो... चुप ना बैठो...