Thursday, March 10, 2011

पश्मीना सी...




कल रात अचानक फिर मिली
चॉकलेट के रैपर में लिपटी
भूली बिसरी सी वो
मखमली शाम

उन लम्हों के लम्स महसूसते हुए
मन रेशम रेशम हो गया
और उनमे खोयी हुई मैं
पश्मीना सी...

वो शाम जब सूरज पिघल के
मेरे दुपट्टे में भर आया था
और तुमने हथेली से ढक दी थीं
चाँद की आँखें

तुम्हें शायद पता नहीं
उस शाम
तुम्हारी आँखों की चमक भी
कितनी रेशमी थी !

तुम्हारी
उस मुस्कराहट का टिप्पा
कल फिर महसूस हुआ
पेशानी पर...

-- ऋचा



14 comments:

  1. Bahut Khoob likha hai aapne..

    Pashmina se komal ehsaas ko sameti huee kavita

    Happy Blogging

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  2. और आप कहती हो की आपको शब्दों से खेलना नहीं आता.. बहुत सुंदर नज़्म.. :)

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  3. बहुत खूबसूरत ...पश्मीना सा ही एहसास हुआ पढ़ कर

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  4. इतना ही थोड़ी ना हुआ होगा !!!

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  5. वाह क्या खूब अहसासो को संजोया है………बहुत सुन्दर बिम्ब प्रयोग्।

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  6. बहुत सुन्दर कोमल भाव | धन्यवाद|

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  7. आपका ब्लॉग मेरे लिए अनमोल है...सच में....
    अब हर पोस्ट पर तारीफ क्या करना...:) अब से अपनी हर पोस्ट पर मेरी तरफ से तारीफ के शब्द खुद जोड़ लीजियेगा...
    और गाने कहाँ से लाती हैं आप ??
    वैसे तो मेरे पास भी करीब ४०,००० गानों का कलेक्शन है...लेकिन हर बार यहाँ सरप्राईज मिलता है....:)

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  8. गुलज़ार को टुकडो में बांटकर यहाँ नए रेपर में डाला है.......

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  9. Cadbury Dairy milk "silk" ! बस पिघलती-घुलती चली गयी जेहन में आखों की जुबाँ के रास्ते :)

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  10. awwww..so beautiful.....kya kahoon, bohot bohot bohot hi zyaada khoobsurat hai.....mmmuuaahhhh!

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दिल की गिरह खोल दो... चुप ना बैठो...