Monday, September 20, 2010

समय से परे...



वक़्त की नाव में बैठ कर
आओ चलें कुछ दूर
समय से परे

वहाँ,
जहाँ सूरज सदा चमकता है
फिर भी तपता नहीं
सिर्फ़ बिखेरता है
झिलमिल सी रश्मियाँ
जो ठंडक पहुंचाती हैं मन को...

वहाँ,
जहाँ कोई शोर गुल नहीं है
सिर्फ़ भीनी सी सरगोशियाँ हैं
हवाओं के कंगन की
पानियों की झांझर की
और मीलों फैले सुकून की...

वहाँ,
जहाँ समय थम जाता है
"तुम" और "मैं" का भ्रम मिट जाता है
बस वो एक लम्हा
जिसमे सिर्फ़ "हम" हों
एकाकार...

और फिर वक़्त की शाख़ से
तोड़ के उस लम्हें को
क़ैद कर के मुट्ठी में
नक्श कर के ज़हन में
समय के दायरे में
लौट आयेंगे...

-- ऋचा

19 comments:

  1. Nice thoughts with nice expression... In my opinion the link provided in "तुम" और "मैं" is showing that this concept is again a journey only with oneself... am I right?

    Happy Blogging

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  2. बहुत सुंदर भाव युक्त कविता

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  3. ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.

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  4. आपने कहने के लिए कुछ नहीं छोड़ा है
    बस एक शब्द
    लाजवाब !!
    यात्रा अच्छी लगी :)

    आभार

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  5. ....और हाँ आपका ब्लॉग बेहद सुन्दर है
    [शायद मैं पहली बार आया हूँ यहाँ पर ]

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  6. बहुत कोमल से एहसास लिए हुए सुन्दर रचना .

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  7. लिंक मतलब कविता में कविता ! बढ़िया है दोनों

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  8. एक मासूम सी लड़की जो ख़्वाब बुनती थी ....

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  9. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 22 - 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  10. सुंदर भाव अभिव्यक्ति .... बहुत अच्छी रचना ....

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  11. समय के परे जाने के बाद संभवतः समय में वापस लौटने का मन न करे। वहीं बनी रहें, अनन्त तक। सुन्दर कविता।

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  12. दोनों कविताएँ बहुत सुन्दर हैं :)

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  13. कल गल्ती से तारीख गलत दे दी गयी ..कृपया क्षमा करें ...साप्ताहिक काव्य मंच पर आज आपकी रचना है


    http://charchamanch.blogspot.com/2010/09/17-284.html

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  14. समय से परे जाकर फिर उसी समय में लौट आना ..
    मगर अब सब नया होगा ...
    वाह !

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  15. @ आशीष जी... yes ashish ji you are right... its again a journey with oneself only... to go beyond time and just for that one moment find your true self... what we really are...

    @ all... thanks a lot for appreciation !!!

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  16. "तुम" और "मैं" का भ्रम मिट जाता है
    बस वो एक लम्हा
    जिसमे सिर्फ़ "हम" हों
    एकाकार...
    खूबसूरत एहसास और भाव्

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दिल की गिरह खोल दो... चुप ना बैठो...