Monday, February 15, 2016

इश्क़ मुबारक़ !!!



पिछले एक हफ़्ते से हर जगह इश्क़ की ख़ुमारी छायी हुई है... फेसबुक पर... अख़बार में.. वाट्सऐप पर... न्यूज़ में... हर कहीं... जिधर देखो इश्क़ ही इश्क़... जैसे दुनिया में कोई बुराई बची ही ना हो... हर कोई किसी ना किसी के प्यार में है या होने के लिये बेताब है... प्रॉमिस डे प्रपोज़ डे से लेकर हग डे किस डे तक... सही मायनों में इश्क़ का बाज़ारीकरण... ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स ने जम कर डिस्काउंट्स दिये प्यार के नाम पर तो होटेल्स और रेस्टोरेंट्स ने कपल्स के लिये स्पेशल ऑफर्स...

ख़ैर इस सब के बीच आज यूँ ही बैठी सोच रही थी कि क्या ज़रूरी है कि ये इश्क़ किसी इंसान से ही हो...कितनी तो चीज़ें हैं इस दुनिया में इश्क़ करने लायक... जैसे आपकी फेवरेट हॉबी... म्यूज़िक... पेन्टिंग... डांसिंग... ये सब भी तो आपका प्यार ही होते हैं... अपनी इन हॉबीज़ के लिये भी तो हम ठीक वैसे ही जुनूनी होते हैं जैसे किसी इंसान के लिये... हमने भी अपने इन सब इश्कों के साथ आज का पूरा दिन बिताया...

सुबह सबसे पहले तुम्हारे साथ राधा कृष्ण के मन्दिर गयी... कि प्यार की इनसे बड़ी कोई मिसाल है क्या दुनिया में... तो प्यार के इस दिन की इससे ख़ूबसूरत शुरुआत और क्या हो सकती थी... तुम चले गये तो थोड़ी देर फोटोग्राफी करी... देखो ना फूलों को भी जैसे पता था कि आज का दिन कुछ ख़ास है... जी भर के खिले थे.. हर रँग में मुस्कुराते हुए से... फिर अपना पसंदीदा नाश्ता बनाया गरमा गरम कॉफी के साथ... ढेर सारा म्यूज़िक सुना सारा दिन... अपना फेवरेट वाला पर्पल नेलपेंट लगाया... इश्क़ में डूबी एक कहानी पढ़ी... और इश्क़ से लबरेज़ एक मूवी देखी... फिर से... "लैटर्स टू जूलिएट"... देखी है क्या तुमने... प्यार के शहर वेरोना में फिल्माई बड़ी ही ख़ूबसूरत कहानी है... कैसे एक औरत 50 साल बाद अपने प्रेमी को ढूँढती है... जिस लकड़े को वो 15 साल की उम्र में छोड़ के चली गयी थी क्यूंकि उसमें समाज और अपने परिवार का विरोध करने कि हिम्मत नहीं थी... कैसे जूलिएट कि लिखी एक चिट्ठी उसे ये हौसला देती है उम्र के उस पड़ाव पे... और वो अपने पोते के साथ चली आती है अमेरिका से इटली... सिर्फ़ अपने प्यार को ढूँढने... पढ़ना चाहोगे उस चिट्ठी में क्या लिखा था ?

Dear Claire,

"What" and "If" are two words as non-threatening as words can be. But put them together side-by-side and they have the power to haunt you for the rest of your life: What if? What if? What if? I don't know how your story ended but if what you felt then was true love, then it's never too late. If it was true then, why wouldn't it be true now? You need only the courage to follow your heart. I don't know what a love like Juliet's feels like - love to leave loved ones for, love to cross oceans for but I'd like to believe if I ever were to feel it, that I will have the courage to seize it. And, Claire, if you didn't, I hope one day that you will.

All my love, Juliet

कौन ना पिघल जाये ऐसे ख़त से ऐ ख़ुदा... एक बात बताओ जान... तुमने इतने सालों में कभी हमें कोई चिट्ठी क्यूँ नहीं लिखी... लिखो ना प्लीज़... बस ऐसे ही... कुछ भी... पर लिखो... हाँ एक चीज़ और... इस बार तुमसे मिलेंगे ना तो एक शाम किसी पहाड़ी पर साथ में बैठ के डूबता हुआ सूरज देखेंगे... कितना ख़ूबसूरत लगता है ना वो... जब शाम का सिन्दूरी सोना आस्मां के गालों पे मल के उसकी आग़ोश में खो जाता है... तो इस बार हमारी एक सनसेट डेट पक्की ना ?

P.S. - सुबह सुबह तुमसे झगड़ी भी थी और ऐज़ यूज़ुअल हमारा ऑलमोस्ट ब्रेकअप भी हो ही गया था... पर तुम हो ना.. जानती हूँ लड़ोगे झगड़ोगे पर कहीं नहीं जाने दोगे हमें... और ना ही ख़ुद कभी कहीं जाओगे हमें छोड़ के... तो ये लड़ता झगड़ता प्यारा इश्क़ तुम्हें बहुत मुबारक़ मेरी जान... and do I need to say I Love You !!!



Monday, February 1, 2016

ये मिलती है, बिछड़ती है, बिछड़ के फिर से मिलती है...!



आज सुबह न्यूज़ पेपर पढ़ते हुए अनायास ही एक तस्वीर पर नज़र पड़ गयी... और तब से तुम बेइन्तहां याद आ रहे हो... अब तुम सोच रहे होगे कि ऐसी कौन सी तस्वीर देख ली हमने... याद है जान वो दौर जब हम सारा सारा दिन साथ रहा करते थे... सारा सारा दिन बातें करते... कभी साथ घूमते फिरते... कभी नाचते गाते... कभी साथ सफ़ाई करते... कभी साथ खाना बनाते... यूँ समझो वैसे ही एक पल की तस्वीर थी जब किचन में तुमने मुझे चुपके से जकड़ लिया था अपनी बाँहों में... और मज़ाक में कहा था अब कभी नहीं छोड़ूँगा तुम्हें और मैंने मन ही मन कहा था आमीन !

जाने क्यों आज सुबह से ही मन हो रहा है दूर कहीं हरी भरी वादियों के बीच जाने का... लंबी सी अंतहीन सड़क हो कोई... सुनसान सी... पर बेहद अपनी... सड़क के दोनों और हरे भरे खेत हों... उनकी मुंडेरों पर पीले जंगली फूल... गुनगुनी सी धुप और हवा में हरियाली की मादक गंध... पार्श्व में किसी बंजारन नदी का अनहद नाद... खुली हुई गाड़ी हो बिना छत की... तुम हो... मैं हूँ... बस... ऐसी कोई जगह जानते हो क्या जान ? ले चलो ना हमें वहाँ...

जानते हो इन शहरों का भी दिल धड़कता है... उनकी तासीर भी कुछ कुछ इंसानों जैसी ही होती है... उन्हें भी कभी कभी हम ठीक उसी तरह मिस करते हैं जैसे किसी इंसान को... तुम्हारे शहर से तो जैसे बरसों पुराना कोई रिश्ता है... यूँ साथ साथ ऊँगली थामे चलता है हर वक़्त गोया तुमने थाम रखा हो... जानते हो जान... तुम्हारे साथ साथ तुम्हारे इस शहर से भी मोहब्बत होती जा रही है... हर पल आवाज़ देता है ये... फिर फिर लौट आने को मजबूर करता हुआ...

कभी कभी ना बड़ा दिल करता है कि गुनगुनी धूप हो और मखमली घास पे तुम्हारी गोद में आँखें मीचे लेटी रहूँ और तुम मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरी फेवरेट किताब पढ़ के मुझे सुनाते रहो... आह.. कितना प्यारा ख्याल है ना... काश कि कभी इसे हकीकत में बदल पाऊँ... यहाँ सिर्फ़ इसलिये दर्ज करा दिया है कि सनद रहे...

किसी के प्यार में होना जितना खूबसूरत एहसास है उतना ही अपने सामने प्यार को पनपते हुए देखना भी... लगता है जैसे एक्शन रिप्ले कर के हम अपनी ज़िंदगी ही दोबारा जी रहे हों... वो छेड़ना वो मनाना... वो घंटों घंटों बातें करना.. दुनिया से बेफिक्र.. एक दूसरे की छोटी छोटी बातों का ख़्याल रखना... एक दूसरे के बारे में हर छोटी बड़ी चीज़ जान लेने की उत्सुकता... कभी कभी सोचती हूँ आजकल के लड़के लड़कियों जैसे हम कभी डेट पर नहीं गए ना जान... कभी साथ में फ़िल्म नहीं देखी... कैंडल लाइट डिनर नहीं किया... कैसा एहसास होता होगा वो... सुनो ना ! किसी दिन डेट पे चलोगे मेरे साथ... ?