Monday, April 9, 2012

ये लम्हे ये पल हम बरसों याद करेंगे...



ज़िन्दगी चलती जाती है... उम्र बीतती जाती है... अच्छे-बुरे सभी पलों को समेटते हुए... देखा जाये तो कितना लम्बा समय और सोचा जाये तो बस चंद लम्हे जो यादों में ठहरे हैं.....!

आज से ठीक तीन साल पहले ऐसे ही कुछ लम्हों को पन्नों पे संजोने के लिये ये झरोखा खोला था... लिखना ना तब आता था ना अब आता है... बस ज़िन्दगी के इस सफ़र में जो भी कुछ महसूसते गये यहाँ संजोते गये... इकठ्ठा करते गये... यादों का एक पुलिंदा सा बन गया... आज पलट के देखते हैं तो कुछ हँसते खिलखिलाते, कुछ बहुत ही ख़ुशनुमा, कुछ थोड़े नम, तो कुछ थोड़े उदास से लम्हों का ताना-बाना सा लगता है ये... बिलकुल हमारी ज़िन्दगी सा...

आज ये पन्ने पलट के देखती हूँ तो कैसे उँगली पकड़ के किसी और ही दुनिया में ले जाते हैं ये हमें... यादों के इस शहर की हर गली ख़ूबसूरत है... इन गलियों से गुज़रते हुए लगता है जैसे कल ही की तो बात है... किसी मोड़ पे बैठा कोई लम्हा आवाज़ दे के बुलाता है और बिठा लेता है अपने ही पास... और ऐसे बेलगाम दोस्तों के जैसे बातें करते हैं हम दोनों कि लगता है जैसे बरसों के बिछड़े दो दोस्त मिले हों.. तो अगले किसी मोड़ पर कोई उदास सा लम्हा सीली सी आँखों में इंतज़ार लिये हमारी राह तकता है...

आज कहने को कुछ ख़ास नहीं है... सिर्फ़ एक दस्तख़त... कि ये लम्हें, ये यादें... ज़िन्दगी हैं... इस ब्लॉग ने हमें बहुत कुछ सिखाया... आज बस इतना कहना है कि इस झरोखे से झाँकते हुए कुछ बहुत ही प्यारे दोस्त मिले... जो अब ज़िन्दगी का एक अटूट हिस्सा हैं... तो आज की ये पोस्ट सिर्फ़ तुम्हारे लिये दोस्त... क्यूँकि तुम हो तो ये लम्हें हैं, ये यादें हैं और यादों का ये झरोखा है...