tag:blogger.com,1999:blog-2381158197921407620.post7777784001410303845..comments2024-01-29T19:58:54.931+05:30Comments on Lamhon Ke Jharokhe Se...: लोग ग़ुस्से में बम नहीं बनते !!!richahttp://www.blogger.com/profile/17341853830091317236noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-2381158197921407620.post-74381396054963118752010-10-19T19:12:28.938+05:302010-10-19T19:12:28.938+05:30ग़ुस्सा... प्यार ही की तरह हमारे व्यक्तित्व का एक ...ग़ुस्सा... प्यार ही की तरह हमारे व्यक्तित्व का एक हिस्सा होता है... बुरा ही सही, पर होता है... हर किसी में... bina gusse ke pyaar badhta bhi to nahiरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2381158197921407620.post-64811174573065830422010-10-19T16:11:29.932+05:302010-10-19T16:11:29.932+05:30सही कहा कि गुस्से में चुप रह जाना ही सबसे सही इलाज...सही कहा कि गुस्से में चुप रह जाना ही सबसे सही इलाज है | और वास्तव में हम सभी ज्यादातर सिर्फ कहने के लिए ही सॉरी कहते है दिल से नहीं कहते है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2381158197921407620.post-37657270608481042442010-10-18T23:45:44.471+05:302010-10-18T23:45:44.471+05:30@ आशीष जी... धन्यवाद... ये एहसासों की बारीकियाँ ही...@ आशीष जी... धन्यवाद... ये एहसासों की बारीकियाँ ही तो हैं जो किसी भी रिश्ते को ख़ूबसूरत बना देती हैं... बाक़ी हम कोई राइटर तो हैं नहीं बस जो ज़िन्दगी से सीखते, समझते रहते हैं यहाँ आप सब के साथ बाँट लेते हैं... आपको पसंद आता है ये हमारी ख़ुशनसीबी है :)<br /><br />@ शेखर सुमन... शुक्रिया !<br /><br />@ प्रिया... ज़रा ये लाइन दोबारा से पढ़ो... "देखो ज़रा अभी दिमाग़ शान्त है तो हम भी कैसी समझदारी की बातें कर रहे हैं :)" ग़ुस्से में दिमाग़ कब काम करता है जो ये पढ़ने की नौबत आएगी :) ख़ैर... ज्ञान वान नहीं बाँट रहे... काश की होता थोड़ा सा :) ... वैसे बहुत से लोगों को ऐसा लगता है अक्सर... पर यहाँ इस ब्लॉग पर हम सिर्फ़ वो बातें या ज़िन्दगी के प्रति उस नज़रिए को लिखते हैं जैसा हमें लगता है की होना चाहिये... और हमें लगता है की हमें ऐसा करना चाहिये इसका मतलब ये नहीं कि हम हमेशा ऐसा करते हैं... हाँ चाहते ज़रूर हैं कि ऐसा कर पायें... कोशिश भी करते हैं... कभी सफ़ल भी हो जाते हैं, कभी फेल भी :) पर यही तो ज़िन्दगी है !!!<br /><br />@ अनिल... गुलज़ार साब तो बस गुलज़ार साब है... अब और क्या कहें उनके बारे में :)<br /><br />@ सागर... हम यहाँ उन दुनियावी रिश्तों के बारे में बात नहीं कर रहे थे जिनके बारे में शायद आपने पढ़ा... अपनों से माफ़ी माँगने से कभी कोई छोटा नहीं होता... ये तो हमें तय करना होता है अहम बड़ा या अपने... और जहाँ तक रिश्तों की बात है तो हमारा भी यही मानना है कि रिश्ते इन सब छोटी-छोटी बातों से, ग़ुस्से से, नाराज़गी से, अहम से... सबसे ऊपर होते हैं...<br /><br />@ प्रवीण जी... सही कह रहे हैं आप... क्यूँ ये बेकार की चीज़ें टाँगे रहें और क्यूँ ये ज़िन्दगी, ये रिश्ते सब स्याह करें... छोटी सी ज़िन्दगी है, हँसी ख़ुशी कट जाये तो क्या बुरा है :)richahttps://www.blogger.com/profile/17341853830091317236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2381158197921407620.post-57306551671914161042010-10-18T22:51:01.215+05:302010-10-18T22:51:01.215+05:30गलती टाँगे रहने से सब स्याह हो जाता है, तुरन्त उता...गलती टाँगे रहने से सब स्याह हो जाता है, तुरन्त उतार फेकिये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2381158197921407620.post-77088061076215764072010-10-18T17:07:03.995+05:302010-10-18T17:07:03.995+05:30NTPC में पढ़ा था ... की माफ़ी मांगने का मतलब मैं छोट...NTPC में पढ़ा था ... की माफ़ी मांगने का मतलब मैं छोटा हूँ, वो बड़े हैं, मैं गलत हूँ, वो सही हैं... इन सबसे ऊपर उठकर करके यह सोचना होना चाहिए की हमारे साथ उनके रिश्ते महत्वपूर्ण हैं.सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2381158197921407620.post-75252847256842574892010-10-18T16:56:58.298+05:302010-10-18T16:56:58.298+05:30गुलज़ार साहब की नज़्म बड़ी भली है.....क्या कहने :-)गुलज़ार साहब की नज़्म बड़ी भली है.....क्या कहने :-)अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2381158197921407620.post-37354401874636554862010-10-18T16:18:30.116+05:302010-10-18T16:18:30.116+05:30AREY YAAR....KAL HI YE WALA BUKHAR PURE KHUMAAR PA...AREY YAAR....KAL HI YE WALA BUKHAR PURE KHUMAAR PAR THA....LEKIN SORRY NAHI BOL PAAYENGE...APNE JO HAIN....ACHCHI LAGI POST....LEKIN GUESSE MEIN YE SAARE ACHCHI BAATEIN NADARAT HO JAATI HAIN....Bahut gyaan de rahi ho dear...ab jab gussa aaya na tumhe yahi padhwayenge :-)प्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2381158197921407620.post-79910115681922865172010-10-18T16:12:54.064+05:302010-10-18T16:12:54.064+05:30माफ़ी मांगने में कभी भी नहीं हिचकना चाहिए, और गुस्स...माफ़ी मांगने में कभी भी नहीं हिचकना चाहिए, और गुस्से पर अगर काबू है तो पूरी दुनिया जीत सकते हैं हम..<br />बहुत ही ख़ूबसूरत रचना..<br />इस बार मेरे नए ब्लॉग पर हैं सुनहरी यादें...<br />एक छोटा सा प्रयास है उम्मीद है आप जरूर बढ़ावा dengi..<br />कृपया जरूर आएँ...<br /><br /><a href="http://sunhariyadein.blogspot.com/" rel="nofollow">सुनहरी यादें ....</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2381158197921407620.post-57223440498852294062010-10-18T15:48:35.218+05:302010-10-18T15:48:35.218+05:30सिर्फ़ औपचारिकतावश "सॉरी" बोल देना माफ़ी ...सिर्फ़ औपचारिकतावश "सॉरी" बोल देना माफ़ी माँगना नहीं होता... वो तो सिर्फ़ अपने लिये होता है... ख़ुद का अपराधबोध दूर करने के लिये...<br /><br />सही कहा आपने... इतनी बारीकी से अहसासों पर गौर करती हुईं प्रविष्ठियां केवल इसी ब्लॉग पर देखी जा सकती हैं..<br /><br />हैपी ब्लॉगिंगआशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal)https://www.blogger.com/profile/11809821246121726944noreply@blogger.com